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भाजपा सरकार ने खनन के लिए हसदेव अरण्य के 1,742 हेक्टेयर वनभूमि अडानी को सौंपा

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रायपुर। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार के अडानी परस्त नीतियों से हसदेव अरण्य के घने जंगलों पर संकट उत्पन्न हो गया है। मोदी के मित्र अडानी के मुनाफे के लिए सरगुजा रेंज के केते एक्सटेंशन के खुदाई करने गौतम अडानी को देने के लिए इस सरकार ने अनुमति दी है। अब रामगढ़ की पहाड़ियां, प्राचीन नाट्यशाला, सीता गुफा, जानकी रसोई, प्रभु श्री राम के वन गमन पथ की पुण्य स्मृतियों को अडानी के आर्थिक लाभ के लिए संकट में डाला जा रहा है। क्योंकि यह क्षेत्र जहां पर अनुमति दी जा रही उससे मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर है। छत्तीसगढ़ सरकार ने केते एक्सटेंशन ओपन कास्ट कोल माइनिंग और पिट हेड कोल वॉशरी परियोजना के लिए 1742.60 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वन उपयोग में बदलने की सिफारिश कर दी है। राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद यह प्रस्ताव अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पास भेजा गया है। केंद्र से हरी झंडी मिलते ही 5 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई का रास्ता साफ हो जाएगा। यह वही इलाका है जिसे सेंट्रल इंडिया का “लंग्स ज़ोन“ कहा जाता है।
ठाकुर ने कहा कि हसदेव अरण्य का यह क्षेत्र पांचवी अनुसूची का भाग है, जहां नए खदान स्थापित करने का लगातार विरोध स्थानीय आदिवासियों के द्वारा किया जा रहा है। यह सरकार आदिवासियों के अधिकारों को कुचल रही है। हरैया, फतेहपुर, साल्ही, हर्रई सहित कई गांवों के आदिवासी समुदाय लगातार आंदोलित हैं, अति महत्वपूर्ण जैव विविधता संपन्न क्षेत्र में खनन से जंगल, जल स्रोत और उनकी परंपरागत आजीविका पर गहरा असर होगा। हाथियों और अन्य वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट होगा और बड़े पैमाने पर पेड़ कटाई से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ जाएगा, इस मुद्दे पर महीनों से आंदोलन चल रहा है, कई ग्राम सभाओं ने इसका विरोध किया, लेकिन इस सरकार में किसी की सुनवाई नहीं है। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा कोल ब्लॉक सहित पांच कोल ब्लॉकों के आवंटन को निरस्त करने के लिए विधानसभा में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा था, मोदी सरकार ने निरस्त नहीं किया, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की विष्णु देव सरकार की दुर्भावना से फिर इस जंगल को काटने का खेल हो रहा।

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