शिल्प व सृजन के देवता विश्वकर्मा की मूर्ति त्रिवेणी संगम में विसर्जित,शोभा यात्रा में उमड़े श्रद्धालु

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राजिम । प्रयाग नगरी राजिम में सृजन के देवता बाबा विश्वकर्मा की मूर्ति का विसर्जन संगम में विधि विधान के साथ किया गया। इस मौके पर सुबह वैदिक विधि से पूजन आरती किया गया पश्चात दोपहर 12:00 बजे के बाद विसर्जन के लिए शोभा यात्रा निकाली गई। ट्रैक्टर को रथ का आकार दिया गया था जिस पर विश्वकर्मा की विशालकाय मूर्ति को बिठाया गया था। महामाया चौक से निकली शोभायात्रा में बैंड की धुनों पर लोग झूमते रहे। ताली बजाकर बाबा विश्कर्मा की जयकारा लगाया और देखते ही देखते पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक से सीधे वीआईपी मार्ग के बाद अटल घाट पहुंचे और त्रिवेणी संगम में विसर्जन किया गया। इस दौरान कुछ भक्तों के आंखों से आंसू छलक पड़े। बाबा की विदाई का यह दृश्य अत्यंत रोमांचित रहा। उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित की जाती है और पूजन आराधना के साथ ही दूसरे दिवस विसर्जन की परंपरा है। इसी तरह चौबेबांधा में मिस्त्री संघ के द्वारा मूर्ति विराजमान किया गया था जिसे शनिवार को शाम विसर्जित किया गया। उनकी शोभा यात्रा पूरे गांव की गलियों का भ्रमण करते हुए आगे निकले और इन्हें पैरी नदी में विसर्जित किया गया। श्रद्धालुओं ने अपने घर के चौराहे पर चौक पूरा गया था तथा पीढ़ा रखकर फूलों से सजा दिया था जैसे ही घर के सामने आए भक्तगण आरती उतारी तथा परिवार सहित प्रणाम करते हुए नारियल तथा रूपए पैसे समर्पित किए। इसी तरह आसपास के अनेक गांव में भी विश्वकर्मा की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई।

“संतोष कुमार सोनकर की रिपोर्ट”

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