मनरेगा में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी का आंदोलन आज 50 दिन पूरे
”वैभव चौधरी की रिपोर्ट”
रायपुर /धमतरी। मनरेगा में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी का आंदोलन 23 मई को पूरे 50 दिन हो जायेगे। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहला कर्मचारी आंदोलन है, जिन्होंने आजाद भारत में गांधीवादी तरीके से 400कि. मी. की पदयात्रा कर राज्य सहित देश के अन्य राज्य के कर्मचारियों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफलता प्राप्त की है। पूरा कर्मचारी जगत इस आंदोलन पर अपनी नजरे टिकाए बैठे है, ऐसा हम इसलिए कह रहे है चुकि इनकी मांगे पूरी होती है तो प्रदेश में वर्षों से संविदा कुप्रथा का दंश झेल रहे कर्मचारियों के मन में प्रति वर्ष नौकरी खो जाने के भय के अधेरे में उम्मीद की एक किरण जाग जायेगी और उनके जीवन में एक नये अध्याय की शुरुआत होगी।
इन 50 दिनों में इन कर्मचारियों ने कठिनतम सत्याग्रह के तरीकों को अपनाकर शारीरिक और मानसिक रूप से अपने आप को मजबूत बनाया है। संभवतः इसलिए 42- 45 डिग्री तापमान में 400 कि. मी. पदयात्रा से आए पैरों छाले और राजधानी के सचिवालय और संचानालय के ऐ.सी. कमरों से निकलने वाली लुभावनी शीतलता और गर्म हवाएं भी इनके हौसलों को डगमगा नहीं पाई।
बहरहाल प्रशासन के आंदोलन समाप्त कराने के हथकंडे जब बेअसर नजर आने लगे तब कमिटी गठन और हड़ताल के 38 दिनों उपरांत रोजगार सहायकों का मानदेय 5000 रू से बढ़ाकर 9540 रू की घोषणा करवा दी गई , यह लुभावनी तरकीब भी बेअसर साबित हुई। कर्मचारी चुनावी जन घोषणा पत्र में किए गए वादे के पूर्ण होने की आस के साथ मुख्यमंत्री जी की ओर नजरे टिकाए हुए है। तमाम घटनाक्रम के बीच ग्रामीण मजदूरों को 1 हजार करोड़ रु की बड़ी राशि जो सीधे उनके खाते में जानी थी वो नहीं गई। आंदोलन का अंजाम क्या होगा देखा जाना अभी बाकी है?