अनात्म भाव में अनास्था व आत्मभाव में आस्था का नाम ही मुक्ति है : संत निरंजन महाराज
धमतरी। मुकुंदराम पटेल व ग्रामवासियों के सहयोग से ग्राम पेंडरवानी में 20 फरवरी से श्रीमद भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ आबादीपारा में जारी है। कथाकार संत निरंजन महाराज है, जो श्रद्धालुओं को हर रोज भागवत के माध्यम से ज्ञानप्रद कथा सुना रहे हैं। भागवत सुनने आसपास गांवों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।श्रीमद भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ में कथाकार संत निरंजन महाराज श्रद्धालुओं को मोक्ष व वैराग्य के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मैं करता हूं, मैं भोगता हूं, इस तरह के द्वंदों को मन से मैं को निकालकर भागवत सुनकर, सत्संग में जाकर मन को उपर उठा दो। मन र्निलेप रहे, असंग रहे। लाभ-हानि, सुख-दुख, जय-पराजय दोनों को समान भाव से सहन कर लें, यही मुक्ति है। धर्म वहीं है जो ईश्वर में प्रीत हो। मन में अनुराग हो। अनात्म भाव में अनास्था व आत्मभाव में आस्था करने का नाम ही मुक्ति है। बदलने वाले संसार में अनास्था व रहने वाले भगवान में आस्था का नाम ही मुक्ति है। ये सब मन के द्वारा हो रहा है। मन को ही जोड़ना है। रहने वाले से मन को जोड़ों व बदलने वाले से मन की नाता तोड़ों। बदलने वाला संसार का विभाग्य है और रहने वाला परमात्मा का विभाग्य है। गीता में अर्जुन ने भगवान से पूछा कि जीव के लिए सबसे सरल उपाय क्या है, यह ज्ञान यज्ञ है। ज्ञान के समान कोई यज्ञ नहीं है। जीवन को पवित्र करने वाला यज्ञ ज्ञान यज्ञ है। ज्ञान योग से बड़ा कोई योग नहीं है। भागवत सुनने ग्राम पेंडरवानी, पेरपार, कंवर, परसुली, आमदी, पलारी समेत दूर-दराज के श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कथा सुनने आयोजक मुकुंद राम पटेल, सगुन पटेल, नकुल पटेल, कोदूराम पटेल, नारायण पटेल, गिरधर पटेल, थानसिंग पटेल, मिथलेश पटेल, नरेश पटेल, चंद्रशेखर पटेल, भोजराज पटेल, कमल पटेल समेत श्रद्धालु शंकर लाल साहू, सरपंच सत्यवान साहू, गैंदलाल साहू, कामदेव साहू, साधू राम साहू समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।