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त्रिवेणी मैया की महाआरती प्रकृति प्रेम जागृत किया: रेखा सोनकर

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”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम ।त्रिवेणी गंगा महाआरती विप्र समिति राजिम द्वारा पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी 9 जून दिन गुरुवार को संध्या कालीन बेला में गंगा दशहरा के पावन अवसर पर भव्य एवं दिव्यता से परिपूर्ण विहंगम महाआरती महानदी आरती स्थल पर की गई। जिसमें विशेष रुप से मुख्य यजमान स्वरूप रेखा सोनकर अध्यक्ष नगर पंचायत राजिम, पंचकोशी पीठाधीश्वर सिद्धेश्वरानंद, राघोबा महाडिक पूर्व अध्यक्ष जनपद पंचायत फिंगेश्वर सपरिवार शामिल हुए। विप्र समिति के अध्यक्ष पं. राम शर्मा ने मुख्य यजमान सहित उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुगणों को महाआरती हेतु आमंत्रित किए। आरती के पूर्व सिद्धेश्वरानंद ने अपने आशीष वचन में सनातन धर्म एवं गंगा दशहरा पर्व पर अपने प्रेरक उद्गार व्यक्त किए। पं. देवेंद्र दुबे के वैदिक मंत्र एवं आरती संचालक डॉ. संतोष शर्मा कुंभज के सस्वर मधुर आरती गायन के साथ स्थानीय ब्राह्मणों ने मां गंगा की अत्यंत भाव एवं प्रेम पूरित होकर गंगा पूजन एवं महाआरती की,जिससे उपस्थित जन समुदाय भाव विभोर होकर हर-हर गंगे की जय -जय कारा करने लगे। रेखा सोनकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्थानीय ब्राह्मणों के द्वारा किए जा रहे इस तरह के पवित्र आयोजन से लोगों के अंदर श्रद्धा, भक्ति एवं प्रेम का पुष्प पल्लवित होकर जीवन में सात्विकता एवं प्रकृति प्रेम का भाव जागृत होता है। अतः सनातन धर्म की रक्षा के लिए स्थानीय विप्र समिति द्वारा सर्वजन कल्याणार्थ किए जा रहे यह प्रयास अभिनंदनीय है। राघोबा महाडिक ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में मां गंगा की शुद्धता,पवित्रता को बचाए रखने के लिए स्थानीय प्रशासन एवं समस्त जनता जनार्दन से अपील करते हुए गंगा दशहरा की बधाइयां दी । उन्होंने राजिम की भौगोलिक संरचना पर शोध परक विचार रखते हुए स्थानीय ब्राह्मणों के द्वारा की जा रही धार्मिक अनुष्ठान की भूरी भूरी प्रशंसा की। विप्र समिति के सचिव एवं आरती संचालक डॉ. संतोष शर्मा कुंभज ने अपने संचालन के दौरान गंगा के पावन महिमा पर बखान करते हुए कहा की ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, तब से लेकर आज पर्यंत तक भारत के सभी तीर्थ स्थलों में गंगा दशहरा का महापर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहीं जाने वाली राजिम पुण्य नगरी में धर्म, अध्यात्म एवं संस्कृति के त्रिवेणीतट पर संध्या कालीन बेला में हो रही इस दिव्य महाआरती की रमणीयता और अधिक तब बढ़ गई , जब लक्ष्मण झूला में उपस्थित विशाल जनसमूह महाआरती के साक्षी बने। आभार व्यक्त करते हुए अध्यक्ष पं. राम शर्मा ने आरती के सफल आयोजन में ध्वनि, प्रकाश व्यवस्था रेखा सोनकर एवं प्रसादी व्यवस्था राघोबा महाडिक द्वारा किये जाने पर साधुवाद ज्ञापित किया। महाआरती में विशेष रुप से शामिल होने वालों में आचार्य गण संतोष मिश्रा, सूरज शर्मा, मदन मोहन वैष्णव, संस्कार मिश्रा, आदित्य मिश्रा, व्यास नारायण चतुर्वेदी गोप कुमार शर्मा, नीतू महाडिक, सोनल महाडिक एवं सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित थे।

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