नदी उत्सव के अंतर्गत संस्कृति विभाग ने कराया स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी पर वाचन
राजिम। ईमानदारी जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल देती है ।स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रविशंकर शुक्ला के कामों एवं उनके द्वारा किए गये ईमानदार प्रयास को देखकर पदोन्नत दिया गया। कुशाग्र बुद्धि के शुक्ल 8 वर्ष की उम्र में प्राथमिक शिक्षा पूर्ण कर ली। उनके पिता जगन्नाथ शुक्ला ऐसे परिवार से थे जिन्होंने तीन पीढ़ियों तक ब्रिटिश शासन का विरोध किया। उक्त बातें आजादी के 75 वीं अमृत महोत्सव के अवसर पर त्रिवेणी संगम के तट पर जल संसाधन विभाग एवं संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के तत्वाधान में चल रहे जल उत्सव के तीसरे दिन गुरुवार को दोपहर 12:00 बजे स्वतंत्रता सेनानी वाचन कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए वक्ता समाजसेवक, कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कहा। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रविशंकर शुक्ला के जीवनी पर विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि रविशंकर शुक्ला प्रारंभिक वर्ष भारतीय शास्त्रीय, श्रीरामचरितमानस और गीता से भरपूर विद्वानों के माहौल से गुजरा। उन्होंने वर्ष 1898 में संपन्न हुए कांग्रेस के 13 वे अधिवेशन में भाग लेने अपने अध्यापक के साथ अमरावती गए और नागपुर में इन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूर्ण की। 27 अप्रैल 1946 से 14 अगस्त 1948 तक सीपी और बेरार के प्रमुख रहे। 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आए नए राज्य मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और 31 दिसंबर 1956 को इनका निधन हो गया। उनके सुपुत्र पंडित श्यामाचरण शुक्ला राजिम विधानसभा से चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश में तीन बार मुख्यमंत्री रहे तथा छोटे पुत्र विद्याचरण शुक्ला केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्रीय मंत्री बने। शुक्ला परिवार आज भी राजनीति को नए आयाम दे रहे हैं उनके नाती अमितेश शुक्ला राजिम विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।सोनकर ने आगे कहा कि आगे बढ़ने के लिए कोई शॉर्टकट का रास्ता नहीं है इनके लिए खूब मेहनत करनी पड़ती है पंडित रविशंकर शुक्ल के जमाने में ना कोई साधन थे और ना कोई ज्यादा सुविधाएं थी उन्होंने अपने ईमानदार प्रयास एवं मेहनत के बल पर इतिहास में नाम कर गए। जल की महत्ता पर वक्ता प्रधानपाठक गोपाल यादव ने कहा कि जल प्रदूषण के मुख्य जिम्मेदार हम मनुष्य ही है आज भूजल का स्तर गिर रहा है स्वच्छ जल की कमी हो रही है पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है वृक्षारोपण को विशेष महत्त्व दें तथा पल-पल पानी बचाएं। जल संरक्षण हमारा दायित्व ही नहीं कर्तव्य भी होना चाहिए। पानी की आवश्यकता पेड़-पौधे जीव जंतु खेती कल कारखाने सहित मानव जीवन के लिए सर्वोपरि है। जल के बिना कुछ भी संभव नहीं है आज नगरीकरण एवं औद्योगिकरण बढ़ रहा है जबकि पृथ्वी पर शुद्ध पेयजल मात्र 3% है उनका संरक्षण एवं संवर्धन हम सबकी जिम्मेदारी है। सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य दीदी सरोज कंसारी ने ठाकुर प्यारेलाल की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की आजादी में हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान अविस्मरणीय है आजादी का यह संघर्ष लगभग 100 साल से भी अधिक चला। इसकी पीड़ा दर्द कराह और घुटन को शब्दों से व्यक्त करना इतना आसान नहीं है आने वाली पीढ़ियां और हम उनके इस बलिदान के लिए सदा ऋणी रहेंगे। आज हम खुले आसमान में चैन की सांस ले रहे हैं यह सब उन महान सेनानियों के त्याग और बलिदान तथा समर्पण का परिणाम है। विद्वान साहित्यकार तुकाराम कंसारी एवं प्राचार्य रूपेंद्र साहू ने स्वतंत्रता के अद्वितीय ,कर्मठ सिपाही पंडित सुंदरलाल शर्मा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि श्री शर्मा द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी दानलीला ने 1905 में धूम मचा दी थी। उन्होंने नागपुर में दलितों को जनेऊ पहनाकर अछूतोंद्धार का काम किया। अनेक ऐसे काम किए जिसके कारण महात्मा गांधी जब अपनी यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ आए तो उन्होंने पंडित सुंदरलाल शर्मा को अपना गुरु माना। यह धर्म नगरी राजिम पंडित सुंदरलाल शर्मा की कर्म भूमि रही है ।इससे बड़ी गौरव की बात और क्या हो सकती है। मौके पर उपस्थित जल संसाधन विभाग गरियाबंद के मुख्य कार्यपालन अभियंता आशुतोष सारस्वत ने अपने उद्बोधन में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आजादी के 75 में वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत जल उत्सव हो रहा है जिसका मुख्य ध्येय छोटे बच्चों में जल के प्रति जन जागृति लाना है।जल है तो कल है ,जल को बचाना हमारी जिम्मेदारी है ।हमारे पुरोधा स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों के जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है। कार्यक्रम का संचालन सहायक कार्यपालन अभियंता महेश शर्मा ने किया ।इस मौके पर रायपुर जिला एसडीओ मिश्रा, शिक्षक धर्मेंद्र ठाकुर, सागर शर्मा, महेश कुमार पांडे, रूद्र कुमार सोंन सहित एनसीसी एनएसएस एवं एसटीसी के सैनिक के अलावा जवाहर नवोदय विद्यालय, कन्या शाला, पंडित रामविशाल पांडे हाई स्कूल के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में मौजूद थे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के वाचन से पहले छात्र छात्राओं ने जल संरक्षण पर नगर में रैली निकाली तथा लोगों को जल बचाने का निवेदन किया।