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चौबेबांधा में तुलसी जयंती पर की पूजा अर्चना

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। चौबेबांधा में संत कवि गोस्वामी तुलसीदास की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई इस मौके पर उपस्थित अतिथियों के द्वारा बाबा गोस्वामी तुलसीदास के छाया चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए पूजा अर्चना किया गया तत्पश्चात उपस्थित रामकथा रसिको श्रीफल भेंट कर सम्मान किया गया। सभा को संबोधित करते हुए श्रीरामदरबार मानस मंडली के अध्यक्ष संतोष कुमार सोनकर ने कहा कि राम का चरित्र आज भी प्रासंगिक है बाबा तुलसीदास ने राम चरित्र मानस के माध्यम से जीवन के हर मार्मिक बिंदुओं को उतरने का प्रयास किया है। उन्होंने रामचंद्र के बाल लीला से लेकर विवाह, विरह एवं विश्वास को रेखांकित किया है। सुंदरकांड में हनुमान को जामवंत के द्वारा मोटिवेट करने का काम किया गया है इस तरह से रामायण दक्षता को बढ़ाने का काम करते हैं। पूरे रामायण मे दो परिवार का जिक्र ज्यादा आता है पहला राम का परिवार तो दूसरा रावण का परिवार। इसमें बताया गया है कि परिवार के साथ विश्वास रखना बहुत जरूरी है तभी घर परिवार की रिश्तो में मिठास बनी रहती है। वक्ता नरेश कुमार पाल ने कहा कि तुलसीदास ने सर्प को रस्सी समझकर नदी पार कर गए। मनुष्य में कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति हो तो वह उस कार्य को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करता है। तुलसीदास ने अपनी पत्नी रत्नावली से मिलने की ठान ली थी नतीजा वह जैसे तैसे उनके पास पहुंच जाता है लेकिन जैसे ही वह फटकार लगाते हैं की हाड़ मास के देह से इतना प्रेम करने के बजाए राम से प्रेम कीजिए इससे आप नहीं बल्कि पूरा परिवार तर जाएगा। पुनऊराम पटेल ने तुलसीदास की जीवनी पर विस्तार पूर्वक वर्णन किया। गायक रवि पाल, गोविंद पाल ने कहा कि भाषा विज्ञान के दृष्टिकोण से रामायण हमारे बीच में उत्कृष्ट ग्रंथ है इससे जीवन की सच्चाई उभरकर सामने आती है। पहले रामायण संस्कृत भाषा में ही था लेकिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में लिखकर सरल बना दिया। लीला राम साहू, नकछेड़ा साहू, बिसहत साहू ने कहा कि 2 साल 11 महीने 26 दिन में रामायण तुलसीदास जी ने लिख कर आम जनता के बीच में परोसा है। उन्होंने तुलसीदास जी की जीवनी पर प्रकाश डाला। इस मौके पर हरक श्रीवास,चम्मन साहू,पंचु पाल, सूकालू राम सोनकर, खिलेंद्र सोनकर, नमन सोनकर, व्यास नारायण पाल सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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