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25000 कुंडिय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ विहंगम योग संकल्प यात्रा(कश्मीर से कन्याकुमारी) कलाम कोठी नवापारा राजिम में कार्यक्रम संपन्न

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रायपुर। ब्रह्मविद्या विहंगम योग संस्था के सद्गुरु उत्तराधिकारी, स्वर्वेद कथा प्रवर्तक विज्ञान देव जी महाराज का आगमन छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी, राजधानी में गत रात्रि 1 बजे हुई। सैकड़ों की संख्या में जिज्ञासु, शिष्य, साधन गण उपस्थित हो कर सहृदय स्वागत किया।ज्ञात हो कि ब्रह्मविद्या विहंगम योग संस्थान के माध्यम से अध्यात्म जगत का ज्ञान बताया जाता है। वर्तमान में संस्थान के माध्यम से स्वर्वेद महामंदिर के प्रांगण में शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर 25000 कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ में श्रद्धालुगण, साधक, जिज्ञासु आहुति देंगे। जिनके निमित्त संकल्प यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी तक होगी।स्वर्वेद महामंदिर विश्व में अद्वितीय साधना केंद्र होगी जहां एक समय में 20000 से भी अधिक साधक बैठ कर साधना कर सकेंगे।आत्मा का उत्थान आसन प्राणायाम से नहीं बल्कि साधना, सेवा, सत्संग से ही संभव है।आगे सद्गुरु उत्तराधिकारी विज्ञान देव जी महाराज ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सेवा अपने आप में अनूठी है, खासकर मातृशक्ति के स्वर्वेद के प्रति समर्पण भाव को सराहा।छत्तीसगढ़ के प्रयाग, राजिम को विशेष स्थान बताया। सद्गुरु उत्तराधिकारी ने कहा कि हमारे विचार ही हमें सुखी और दुखी बनाते हैं।विचारों से ही हम सुख और दुःख का अनुभव करते हैं और यह प्रवाह चल रहा है, जैसे हमारा मन बहा जा रहा है। दुःखियों का दुख कैसे कम हो यही श्रेष्ठ चिंतन है।आगे उत्तराधिकारी ने बताया कि विहंगम योगी ही उपयोगी होता है, जो सबके हित का चिंतन करता है, दुःखियों के दुख को कम करता है। महाराज जी ने कहा कि संतो का जीवन परमार्थ के लिए ही होता है। हम अपने लिए नहीं, अपनों के लिए जीते हैं। मात्र स्वयं के लिए जीवन बिता देना भारतीय संस्कृति का संदेश कभी नहीं रहा है। मानव जीवन अत्यंत अमूल्य है। उन्होंने जय स्वर्वेद कथा के क्रम में कहा कि भारत की आत्मा का नाम अध्यात्म है। आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा।उपरोक्त कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ प्रांत समिति से बब्बन सिंह, संत स्वर्वेदी, दिनेश सिंह,निरंजन प्रसाद, कोटेश्वर चापड़ी, रायपुर आश्रम व्यवस्थापक मिश्रा जी, जाधव राम साहू, रामनारायण साहू, पुरुषोत्तम सपहा, सेवक राम साहू, योगेश्वरानंद नेताम, दिलीप प्रजापति, अमीरचंद, सुखी राम, अवनीश कुमार, अजय, सिकेंद्र कुमार यादव, प्रदीप, रमेश यादव, आत्माराम चौहान,मातृ शक्ति से प्रिया शास्त्री, श्यामा उसेंडी, श्रीमती निरंजन प्रसाद, श्रीमती बजाज,पूर्णिमा चौधरी, श्यामा वर्मा के साथ सैकड़ों गुरुभाई बहन, श्रद्धालु, साधकगण शामिल हुए।

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