रसोईया श्रमिकों ने किया चक्काजाम मांगें पूरी नहीं होने पर केशकाल घाट जाम करने की दी चेतावनी
“नरेश भीमगज की रिपोर्ट”
कांकेर। पिछले 40 दिनों से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अड़े रसोईया श्रमिकों ने आज शुक्रवार को जिला मुख्यालय में विशाल रैली निकाल सड़क पर बैठ गये व जमकर नारे बाजी की गई। जिलेभर से बड़ी संख्या में रसोईया श्रमिक शामिल हुए विशाल रैली के चलते शहर में लंबे समय तक शहर में आवागमन प्रभावित हुआ। मेलाभाटा से रैली ऊपर नीचे मार्ग से वापस लौटी। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने दुधावा चौंक में चक्काजाम कर दिया। जहां पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की समझाईश दी। आधा घंटा बाद सड़क से हटे। वहीं आंदोलनरत छग स्कूल महिला पुरूष मध्याह्न भोजन रसोईया संघ ने एक सप्ताह में मांगें पूरी नहीं होने पर केशकाल घाट को जाम करने की चेतावनी दी है। छग स्कूल महिला पुरूष मध्याह्न भोजन रसोईया संघ के द्वारा समान्य काम समान्य वेतन की मांग को लेकर विगत 40 दिनों से ब्लॉक मुख्यालयों में अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जा रहा है। इसके पूर्व भी रसोईया श्रमिक अपनी मांगों को लेकर कई बार शासन प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं, रैली के दौरान भी शहर में जाम की स्थिति बनी रही। मुख्यमार्ग में वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुआ। बताया जा रहा है कि रसोईया संघ के द्वारा माकड़ी एनएच में चक्काजाम करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन प्रशासन से अनुमति नहीं मिली। रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने शहर के मध्य एनएच में कई जगह चक्काजाम करने का प्रयास किया। बाद में ज्ञानी चौंक के पास चक्काजाम पर बैठ गये। जहां सबसे पहले टीआई शरद दुबे ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। जिसके बाद एसडीओपी अनुराग झा भी मौके पर पहुंचे। इधर कलेक्टोरेट मार्ग में बेरीकेट लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोकने पुलिस बल तैनात किया गया था। लेकिन रैली सीधे ज्ञानी चौंकी पहुंची। जहां जमकर नारेबाजी करते चक्काजाम किया गया। ज्ञापन लेने एसडीएम धनंजय नेताम पहुचे। जिनसे संगठन के प्रमुखों ने चर्चा की। चर्चा के उपरांत प्रशासन ने एक सप्ताह की मोहलत मांगी। रसोईया संघ ने सप्ताह भर के भीतर मांगें पूरी नहीं होने पर केशकाल घाट को ही जाम करने की चेतावनी दी है। रैली व चक्काजाम में प्रदेश अध्यक्ष रामराज कश्यप, प्रहलाद बघेल, उमराव पटेल रसोईयों ने नारेबाजी कर कहा 50 रूपये में कैसे करें गुजाराप्रदर्शनकारी रसोईया श्रमिकों ने कहा कि उन्हें शासन प्रतिदिन मात्र 50 रूपये मजदूरी देता है, इतनी कम राशि में कैसे गुजारा करें? वहीं ज्ञापन में कहा गया है कि 1995 से मध्याह्न भोजन योजना के तहत स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में पढ़ने वाले बच्चों को स्वादिष्ट भोजन कराने की जवाबदारी है, कई वर्षों तक 15 रूपये में काम किया अब उन्हें महज 50 रूपये दिया जा रहा है। रसोईयों का कार्य पाठशाला खुलने से लेकर बंद होने तक चलता है। 6 घंटे कार्य लेने के बावजूद उन्हें न तो शासकीय नियमित कर्मचारी माना जाता है न ही न्यूनतम वेतन दिया जाता है। जिससे जीवन यापन करना दुभर हो गया है। 5 मार्च को हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि स्कूल मध्याह्न भोजन रसोईयों को प्रतिमाह 9 हजार 1 सौ 80 रूपये दिया जाये। जिसे सरकार को शीघ्र अमल में लाना चाहिये।