राज्य बनने के बाद 17 नए जिले बने पर राजिम का क्रम नहीं आया,लोगों को बेसब्री से इंतजार भूपेश बनाएगी राजिम जिला
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए खड़ऊ की खड़क की आवाज राजिम,रायपुर, भोपाल से दिल्ली में गूंजती रही। पांव में खड़ऊ, कमर पर लाल की धोती, गले पर रुद्राक्ष की माला पहने हुए यह संत कोई और नहीं बल्कि राजिम के किरवई ग्राम में जन्मे संत कवि पवन दीवान है जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए एड़ी चोटी एक कर दी थी। उन्होंने अपने जीवन काल में तीन सपने देखे थे पहला छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण जिसके लिए उन्होंने आश्रम से लेकर सड़क और दिल्ली के गलियारों में आवाज बुलंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नतीजा 1 नवंबर सन् 2000 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आखिरकार छत्तीसगढ़ को देश के 26 वां राज्य के रूप में अस्तित्व में ला दिया। उन्होंने प्रदेश के करोड़ों जनता का दिल जीत लिया। तीसरा सपना रामायण कालीन प्रभु श्री रामचंद्र की माता कौशल्या की भूमि चंद्रखुरी को विकसित करने की थी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करोड़ों रुपया खर्चा कर माता कौशल्या की भूमि को विकास की मुख्यधारा से जोड़ दिया है। निहायत ही पवन दीवान के इस प्रयास को शायद कोई भूल पाएगा। उन्होंने अपने जीवन काल में दूसरा सपना भी देखा था जिसे हकीकत में बदलने के लिए अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही प्रयासरत रहे। जानकारी के मुताबिक भोपाल में ही राजिम को जिला बनाने की मांग रख दी। तब राजिम में एसडीएम कार्यालय नहीं थे। बात उभरकर आई कि कम से कम पहले अनुविभागीय मुख्यालय का दर्जा तो मिल जाना चाहिए। बात इधर-उधर होती रही। दीवान ने मांग को कमजोर नहीं पड़ने दिया और सन् 2002-03 में अपने प्रवास के दौरान प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी नवापारा राजिम पहुंचे तब संत कवि पवन दीवान अजीत जोगी से यह बात कह दी कि आज आपको राजिम को जिला बनाने की घोषणा करना ही पड़ेगा। यहां भी किसी बात को लेकर नेताओं में सामंजस्य नहीं बैठ पाया और पर्यटन जिला की चर्चा करके मुख्यमंत्री चले गए। इस पर संत कवि पवन दीवान कहते रहे कि दुनिया में कहीं कोई पर्यटन जिला नहीं होता है और यहां भी जिला का मामला लटक गया। समय के साथ साथ सन् 2014 में राजिम जिला के लिए प्रयासरत संत कवि पवन दीवान ब्रह्मलीन हो गए, उसके बाद यहां के आम जनता ने जिला की मांग पर आवाज बुलंद की। दीवान के बाद अभी तक कोई राजनेता जिला की मांग को जोर-शोर से नहीं उठाया है। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते आम जनता को भूपेश बघेल पर पूरा भरोसा है कि अपने कार्यकाल के दौरान ही राजिम को जिला अवश्य बनाएगी। बताना होगा कि इन 22 वर्षों में 17 नए जिले बन गए हैं अर्थात सन् 2000 में 16 जिला के साथ छत्तीसगढ़ राज्य बना। परंतु अब 33 जिला हो गए हैं और अभी भी राजिम का क्रम नहीं आया है। बता दे कि देश का यह प्रमुख तीर्थ स्थल है इसे हरि और हर की नगरी कहा जाता है। भगवान विष्णु का प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर अत्यंत प्राचीन है। संगम के मध्य में स्थित कुलेश्वरनाथ महादेव का मंदिर छठवीं शताब्दी में बनाया गया है। तीन नदियों का संगम के कारण त्रिवेणी संगम का दर्जा प्राप्त है और इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है। विदेशों से भी बड़ी संख्या में हमेशा दर्शनार्थी आते रहते हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा माघी पुन्नी मेला 15 दिनों के लिए लगता है। जिसमें कोने-कोने से लोग उपस्थित होकर संत समागम का लाभ उठाते हैं। यह भी जानना जरूरी है कि देश के तमाम बड़े तीर्थ नगरी जिला के रूप में अस्तित्व में आ चुके हैं लेकिन मध्यप्रदेश या फिर छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी तक इस नगरी को जिला बनाने की नहीं सोची नतीजा लाखों जनता के विश्वास पर पानी फिर गया है और शासन की कई योजनाओं से रूबरू नहीं हो पा रहे हैं लोग हमेशा कहते रहे हैं कि राजिम जिला बनने से तीर्थ नगरी के अनुरूप विकास होगा तथा क्षेत्र के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ द्रुतगति से मिलेगी। मांग करते ही जा रहे हैं लेकिन इनके मांग को सुनने वाला अभी तक कोई आगे नहीं आया है। आम जनता लगातार जिला की मांग उठा रहे हैं। इस आपाधापी में राजिम कब जिला बनेगी चिंतन का विषय बना हुआ है।
1 नवंबर को मनाया 22 वा वर्षगांठ
1 नवंबर 2022 को प्रदेश की जनता राज्य स्थापना के 22 वर्ष गांठ मना ली इसकी खुशी चारों ओर फैली। क्योंकि राजिम जिला मुख्यालय नहीं है इसलिए यहां सरकारी कार्यक्रम नहीं हो पाए। जबकि प्रदेश का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ सांस्कृतिक नगरी के रूप में इनकी पहचान होती है।
जनप्रतिनिधी ने कहा था शीघ्र जिला के मुद्दे पर बुलाएंगे बैठक
चर्चा के दौरान क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया था कि शीघ्र राजिम को जिला बनाने के मुद्दे पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी वर्गों की एक बैठक आहूत की जाएगी जिसमें जनप्रतिनिधी से लेकर पत्रकार, समाज प्रमुख एवं जानकारों को बुलाकर उससे दिशा निर्देश ली जाएगी। ताकि जिला निर्माण को बल मिले।