नगरपालिका तिल्दा नेवरा में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिये हितग्राही लगा रहे रहे महीनों से चक्कर,जरुरत मंद की जगह अपात्र लोगों को दिया मकान

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0मामला तिल्दा नेवरा क्षेत्र

तिल्दा-नेवरा। गरीबों के कुनबे के सहारे भ्रष्टाचार की दरिया में गोता लगाने में माहिर मुलाजिमों को न ही दरिया की गहराई का भय है और न दरिया में आते जाते चक्रवाती तुफान का असर है जिनके चलते ऐसे मुलाजिम मनमानी करने में तुले हुए हैं कहने का मतलब यह है कि गरीब हितैषी शासन की योजनाओं पर अमलीजामा पहनाने के पहले ही उन पर भ्रष्टाचार की परते चढ़ाई जा रही है जिससे गरीब तपके परिवारों के अधिकारो का हनन हो रहा है मामला तिल्दा-नेवरा नगर की है जहां पर प्रधानमंत्री आवास योजना में जमकर पलीता लगाया जा रहा है । गरीबों को उनका अधिकार व स्वभिमान का शासन का सपना दिवास्वप्न सा लगने लगा है तिल्दा-नेवरा शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के पात्र हितग्राहीयो को नगरपालिका कार्यालय के संबंधित अधिकारियों के चक्कर काटते तलवे घीसे जा रहे हैं लेकिन बिना सौदा के पक्का मकान का सपना साकार नहीं हो पा रहा है सालों साल आवेदन व आवास योजना से जुड़े अन्य दस्तावेज जमा करते करते आर्थिक व मानसिक तनाव को लेकर गरीबी की दंश झेल रहे लोग थक चुके हैं लेकिन उनका अधिकारो पर बाधाये मानो मुंह पसारे खड़ी है प्रधानमंत्री आवास योजना पर अमल किये शासन को सालों बित गये लेकिन इस दरमियान प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही आवेदनो की ढेर लगा दी लेकिन उन्हे पराजित ही होना पड़ा चुंकि उनके पास कुबेर की जो कमी है वहीं सर्वसंपन्न परिवार जो प्रधानमंत्री आवास योजना के परिधी से कोसों दूर है उन्हें नतमस्तक होकर इस योजना की लाभ मुहैया करायी जा रही है सूचना के अधिकार के जानकारी लेने पर इस तथ्य का उजागर हुआ है तिल्दा-नेवरा नगर के नगरपालिका कार्यालय में बैठे प्रधानमंत्री आवास योजना के जवाबदार अधिकारियों से लेकर सर्वेयर तक आवास योजना से कुबेर की खजाना बटोरने में लगे हुए हैं । आवास योजना के पात्र हितग्राहियों को बतौर कमीशन मोटे रकम जवादारी अधिकारियो को भेट स्वरूप देनी पड रही है इन मुलाजिमों को संतुष्ट करने में आसमर्थ होने पर आवास योजना की किश्त रोक दी जाती है जो हितग्राही कर्ज तले दबकर आवास योजना का मकान खड़ा कर रहा है उन्हें इन आवास योजना के मुलाजिमों द्वारा विवश कर दी जाती है कि या तो फिर हितग्राही उनके जेबें भरे या फिर मकान निर्माण कार्य को आवास योजना से जुड़े अधिकारियों के उनके मनमाफिक सिविल ठेकेदारों के हाथो सौंप देवे जिन ठेकेदारों से उनका कमीशन बंधा हुआ रहता है आखिरकार गरीबी व लाचारी आवास योजना के हितग्राहियों को असहज ही बना देते हैं और भ्रष्टाचर की गिलाव में मकान निर्माण की हितग्राही सहमति दे देते हैं यह रवैया नगर की आवास योजना की पहुंचान बन चुकी है यहां तक मामला सीमित हो ऐसी वाक्या नहीं है बल्कि आवास योजना में भ्रष्टाचार की लंबी दूरी तय करने के फिराक में अमला लगा हो हो यह कहना बेमानी नहीं होगी चुंकि इनके चलते धनाड्य परिवार भी प्रधानमंत्री आवास योजना के अर्नगल ही सही लेकिन हकदार बन चुके हैं जिन्हें सरकारी गाईडलाईन के विपरीत सहज रूप से लाभान्वित किया गया है सूचना के अधिकार में खुलासा हुआ है कि ऐसे अनेकों परिवार है जो आवास योजना के गाइडलाइंस के मुताबिक अपात्र है उन्हें पात्र घोषित कर लाभार्थी का दर्जा दिया गया है यही नहीं आवास योजना के उनके किश्त के राशि अनुकुल समय में निकलने में कोई बांधा भी उत्पन्न नहीं हुई है जानकारी में आया कि जिन परिवारों का लाखों की लागत से निर्मित प्रकार मकान है उन्हें पात्रता हासिल हुआ है यहां तक की जो परिवार किसी अन्य कस्बे में जन्मजात निवास कर रहि है जो सर्वसुविधा से युक्त है उन्हें पात्रता की श्रेणी में सम्मिलित कर लाभ पहुचाया गया है ऐसे तो आवास योजना का बंदरबाट करने में इन महारथियों का लंबी हाथ है फिर भी इन्हें न ही किसी का डर है और न ही अंजाम का फिक्र है । और यही वजह है कि आवास योजना की मलाई से सुरसा की भांति खुले मुंह की तृप्ति में लगे हुए हैं ।
“शैलेश सिंह राजपूत की रिपोर्ट”

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