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ब्रेकिंग :घाट कटिंग कर बैगा आदिवासियों ने बनाया सुविधा युक्त रास्ता, रोजगार एवं आवागमन की समस्या का हुआ समाधान

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”दीपक ठाकुर की रिपोर्ट”
कवर्धा।
रोजगार और आवागमन की समस्या का समाधान करते हुए अब बारहमासी सड़क का लाभ वनांचल गांव के ग्रामीणों को मिलने लगा है। बैगा बहुल गांव भेलकी व अधचरा के निवासियों के लिए पहाड़ों के बीच से घाट कटिंग कर सड़क बनाने की मांग अत्यंत महत्वपूर्ण थी जिसे पूरा किया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने। बात हो रही है जिले के सुदूर वनांचल ग्राम भेलकी और अधचरा की जो कि विकासखंड पंडरिया का वनांचल गांव है जहां विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा आदिवासी निवासरत है। वैश्विक महामारी कोरोना के लॉकडाउन में घाट कटिंग कार्य प्रारंभ हुआ था जिसमे भेलकी और अधचरा के ग्रामीणों को रोजगार का अवसर मिला और साथ में साकार हुआ बरसों पुराना सपना। वित्तीय वर्ष 2020-21 में यहां कार्य 18 लाख 17 हजार रुपए की लागत से घाट कटिंग सड़क निर्माण कार्य निचे अधचरा से भाकूर तक स्वीकृत हुआ। जिसमें 17.09 लाख रूपये मजदूरी पर एवं 1.07 लाख रूपये सामग्री पर खर्च किया जाना था। इस कार्य में दो गांव के 290 परिवारों को बड़ी मात्रा में रोजगार का अवसर मिला और लॉकडाउन के दौरान जहां सब कुछ बंद था एवं गांव के बाहर काम का कोई साधन नहीं था तब इस विकट परिस्थितियों में ग्रामीणों के लिए रोजगार गारंटी योजना से घाट कटिंग का कार्य सहारा बनकर उभरा। साथ ही इन्हें अपनों के घर आने जाने के लिए बेहतर सुविधा युक्त सड़क मिला जिसमे कोई गड्ढे नहीं है और ना ही वह पथरीला होगा।
महात्मा गांधी नरेगा योजना से हुए कार्य पर एक नजर
18 लाख 17 हजार रुपये से बन रहे इस घाट कटिंग एवं सड़क निर्माण कार्य की लंबाई 2 किलोमीटर है जो ग्राम पंचायत भेलकी में स्वीकृत हुआ है। अप्रैल माह से प्रारम्भ हुए इस कार्य मे औसतन 127 पंजीकृत मजदूरों को लगातार काम मिलता रहा। कार्य से 9903 का मानव दिवस रोजगार का सृजन किया जा चुका है। इस कार्य से ग्रामीणों को 16.961 लाख रुपये का मजदूरी भुगतान उनके खातो में मिला है जो उन्हें सीधे तौर पर आर्थिक संबल दिया। इस कार्य मे गांव के महिला एवं पुरुष ने पहाड़ों को काटकर घाट कटिंग करते हुए अपने लिए सुविधायुक्त रास्ता बना लिया हैं।
दो गांव को जोड़ती यह सड़क ग्रामीणों के लिए है फायदेमंद: सीईओ जिला पंचायत संदीप कुमार अग्रवाल
नीचे अधचरा गांव है जहां विषेष पिछड़ी जनजाति सहित 93 परिवार रहते है, अधचरा वाले को मुख्यमार्ग पकड़ने के लिए 2 किलोमीटर पैदल पगडंडी से जाना पडता था, जिसकी चैड़ाई बहुत कम थी साथ ही इस रास्ते में बहुत गढ्ढे हो गए थे और पथरीले होने के कारण आवागमन बहुत मुश्किल एवं जोखिम भरा था। मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम भाकूर है ,घाट कटिंग होकर सड़क बन जाने से अधचरा एवं भाकुर के ग्रामीणों को आने-जाने में अब सहोलियत होने लगी है। यहा रास्ता दो गांव को एक दूसरे से जोड़ता है।

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