छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग बना पूरे देश मे मजाक का केंद्र -बृज मोहन अग्रवाल
रायपुर। भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय के भृत्य ( चपरासी ) के भर्ती कराए जाने को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार की भर्ती हो रही है। इस सरकार ने पीएससी की उपयोगिता ही चपरासी भर्ती के लायक कर दी है छत्तीसगढ़ सरकार पूरी तरह अनिश्चितता व पॉलिसी पैरालिसिस के शिकार हो गई है।मंत्रालयीन सेवा के चपरासी के 80 पदों पर राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्तियो को लेकर भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहनअग्रवाल ने कहा कि अब छत्तीसगढ़ में लोक सेवा आयोग (पीएससी) का स्तर ही इतना रह गया है कि वे भृत्य की भर्ती करे। श्री अग्रवाल ने कहा कि लोक सेवा आयोग ने भृत्य भर्ती के लिए 6 जून 2022 को आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं। मंत्रालयिन सेवा के चपरासी सहित सभी पदों में पीएससी से भर्ती या पदोन्नति पर भर्ती नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। फिर सरकार द्वारा चपरासी के पदों की भर्ती पीएससी के माध्यम से कराने का निर्णय संदेह को जन्म देता है। यह अपने आप मे सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
जब मंत्रालयिन सेवा के सहायक ग्रेड- 3, स्टेनोग्राफर, स्टेनो टाइपिस्ट तथा डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों पर भर्ती व्यापम के माध्यम से की जाती है तो फिर चपरासी के लिए पीएससी क्यो?
श्री अग्रवाल ने कहा कि व्यापम की स्थापना ही राज्य में छोटे पदों की शीघ्र भर्तियों के लिए की गई है। राज्य सरकार ने कनिष्ठ सेवा चयन भर्ती बोर्ड बस्तर क्षेत्र और सरगुजा क्षेत्र भी बना कर रखे हैं। इन के माध्यम से भी अभी तक एक भी आदिवासी युवक युवती की चपरासी के पद पर भी भर्ती नहीं हुई है। यह स्पष्ट तौर पर सरकारी पदों में राज्य सरकार का भर्ती घोटाला है, जो स्पष्ट नजर आ रहा है। सरकार की मंशा ठीक नहीं है।
श्री अग्रवाल ने कहा है कि कांग्रेस सरकार जब भी सत्ता में होती है शासकीय सेवा की पदों में निष्पक्ष भर्तियां समाप्त हो जाती है। अब तो इस सरकार ने हद कर दी। मंत्रालय में चपरासी की भर्ती के लिए भी छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवकों को थैली लेकर घूमना पड़ रहा है। राज्य सरकार को मंत्रालय के चपरासी की भर्ती में अगर संशोधन करना था, तो साइकिल चलाने की योग्यता को संशोधित किया जाना है। आश्चर्य का विषय है की चपरासी को मंत्रालय बिल्डिंग के भीतर साइकिल चलाने की क्या आवश्यकता है? सरकार बेहोश है। उसे पता ही नहीं है कि राज्य में युवा बेरोजगार मारे मारे फिर रहे हैं, सरकार की नीतियों के चलते हजारों युवा रोज नौकरी के नाम से लाखों की ठगी का शिकार हो रहे हैं।
श्री अग्रवाल ने कहा कि मंत्रालय की चपरासी के 80 पदों के लिए भी गली-गली में अब सरकारी एजेंट घूमने लगे हैं। सरकार के किसी भी आला अधिकारी को यह भान नहीं है कि चपरासी के पद में भर्ती के लिए दो- दो परीक्षाओं का प्रावधान किया गया है? जबकि व्यापम के माध्यम से भरे जाने वाले तृतीय श्रेणी के अधिकारियों के पदों के लिए भी 2-2 परीक्षाओं का प्रावधान नहीं है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।यदि सरकार को पीएससी के माध्यम से भर्ती परीक्षा आयोजित करने ही थी तो पुलिस सेवा के एसआई के पदों की करनी चाहिए थी । एस आई के 1000 पदों के लिए लोगों में आम चर्चा है की नाम पहले से ही तय हो चुके हैं। इतनी घनघोर संशय की स्थिति में , इन पदों की भर्ती को राज्य सरकार ने 1 साल से अधिक से रोक कर रखा है कयो? राज्य सरकार में दम है तो बताये । इन पदों की परीक्षा में इतना विलंब क्यों हुआ? यदि राज्य सरकार की मंशा स्पष्ट होती , तो अभी तक राज्य की 1000 से अधिक युवाओं को सब इंस्पेक्टर के पदों पर राज्य में सेवा करने का मौका मिल चुका होता। सरकार अनिश्चितता और पालिसी पैरालिसीस का शिकार है। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार इस राज्य सरकार की नीति का मुख्य भाग बन गया है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि चपरासी की पदों के लिए पीएससी को लाखों आवेदन प्राप्त होंगे। इन आवेदनों का बोझ संभालते संभालते पीएससी अपना मुख्य दायित्व पूरा नहीं कर पाएगी। जब भी कांग्रेस सत्ता में होती है पीएससी की छवि को राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करती है। सिर्फ अपने लाभ के लिए कांग्रेस पार्टी हमेशा भर्तियों में चिटफंड का और उगाही का धंधा करती है।
पीएससी को चपरासी की भर्तियों का दायित्व देना इसी की बानगी है। क्या व्यापम इसके लिए सक्षम नहीं था? क्यो कनिष्ठ चयन आयोग के माध्यम से अभी तक भर्तियां नही हुईं?
श्री अग्रवाल ने कहा कि यह भी आश्चर्य का विषय है कि चपरासी के पदों के लिए आठवीं की योग्यता के अलावा रोजगार कार्यालय का नामांकन क्यों अनिवार्य किया गया? इसलिए कि गांव खेड़े के और आदिवासी इलाकों के बच्चे इन पदों पर आवेदन ही न कर पाए। आदिवासी इलाकों, ग्रामीण इलाकों और शहर के गरीब बच्चों ने हजारों की संख्या में ऑनलाइन रोजगार कार्यालय में 10वीं या 12वीं पास का पंजीयन तो 5-7 साल पहले ही करवा लिया है अब वह पंजीयन नवीनीकरण के अभाव में मान्य नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार की मंशा खासकर आदिवासी और ग्रामीण बच्चों को नौकरी से वंचित करना है। वर्ना ऐसी शर्ते क्यो लागू की? यही नही जाति प्रमाण पत्र भी आठवीं स्तर के नहीं बना पाते हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि मंत्रालय में 80 पदों पर किन परिवारों के बच्चों को भर्ती करना चाहती है? भर्ती के नाम पर राज्य सरकार आदिवासी समाज गरीब, किसान, ग्रामीण और मजदूर परिवारों के बच्चों को चॉइस सेंटर और ऑनलाइन फॉर्म भरने के नाम से हजारों रुपए की उधारी का बोझ डाल रही है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि एक तरह से राज्य सरकार ने यह मान लिया है कि उसका महत्वपूर्ण विभाग सामान्य प्रशासन विभाग निष्पक्ष भर्तियां करने में नाकाम और असफल है। तत्काल राज्य सरकार मंत्रालय के 80 पदों पर भर्तियां और एसआई पद की भर्तियों के लिए सुस्पष्ट मानदंड अपनाए और उसे सार्वजनिक करें। पीएससी को इसके पहले भी 2002-2003 में कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर दिया था। फिर से राज्य सरकार वही करने जा रही है। जनवरी 2022 से लेकर अभी तक पीएससी ने 22 विज्ञापन जारी किए हैं जिसमें यह मेंशन नहीं किया है कि परीक्षा का आयोजन कब होगा? सिर्फ यह लिखा गया है कि आवश्यकता होने पर परीक्षा ली जाएगी। इसका मतलब क्या बैक डोर भर्तियां होंगी?