अग्हन अमावस्या पर दमका राजीवलोचन मंदिर,सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने किया दर्शन पूजन
राजिम । अग्हन अमावस्या के अवसर पर शाम 4:00 बजे राजीवलोचन मंदिर का स्वरूप दमक रहा था। सफेद रंग लोगों को काफी भा रहा था। जिसने भी इन्हें देखा तारीफ करना नहीं भूले। महासमुंद से पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि यह मंदिर प्राचीन कालीन है तथा इनके निर्माण में जिस सामग्री का उपयोग किया गया है वहां आज भी जीवंत है। यह हमारे छत्तीसगढ़ का धरोहर है। भिलाई के संतोष सोनकर, भीष्म शर्मा, देव आनंद त्रिपाठी, जितेंद्र साहू, मूलचंद ने बताया कि भगवान राजीवलोचन के दर्शन करने से मन प्रसन्न हो गया यह साक्षात भगवान विष्णु हैं। उल्लेखनीय है कि पुराणों में इसे कमल क्षेत्र की उपमा से अलंकृत किया गया है कमल की पांच पंखुड़ी पर 5 शिवलिंग कर्पूरेश्वर नाथ महादेव, चंपकेश्वर नाथ महादेव, फणीकेश्वर नाथ महादेव, ब्रह्मकेश्वरर नाथ महादेव एवं पटेश्वरनाथ महादेव स्थापित है इनके मूल में भगवान राजीवलोचन तथा मध्य में कुलेश्वर नाथ महादेव विराजमान हैं इसलिए इसे हरि और हर का धाम भी माना गया है। लोग भगवान राजीवलोचन के दर्शन किए पश्चात पूजन अर्चन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जम गई थी। पूजन आरती के समय महामंडप में भक्तों की भीड़ लग गई। वहीं त्रिवेणी संगम में स्नान के लिए भी दूर-दूर से पहुंचे हुए थे। यहां के प्रमुख अटल घाट, संगम घाट, बेलाही घाट, नेहरू घाट, सोनतीर्थ घाट में श्रद्धालुओं ने स्नान किया तथा सूर्य देव को जल अर्पण किया। बता देना जरूरी है कि भगवान राजीवलोचन का स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है सुबह बाल्यावस्था दोपहर युवा अवस्था तथा रात्रि काल में प्रौढ़ा अवस्था को प्राप्त करते हैं। वर्तमान में प्रतिदिन पर्यटकों की संख्या त्रिवेणी संगम में अच्छी खासी बढ़ी हुई है। स्कूली विद्यार्थियों के अलावा दूर-दूर से लोग यहां पर्यटन के लिए पहुंच रहे हैं। यहां के लक्ष्मण झूला वर्तमान में खासा आकर्षण बने हुए हैं लेकिन बंद होने के कारण लोगों को इसमें चढ़ने का अवसर नहीं मिल पा रहा है लोगों ने शीघ्र लक्ष्मण झूला को चालू करने की मांग छत्तीसगढ़ शासन से की है।