संगम के सोनतीर्थ घाट की सफाई नही होने से श्रद्धालुओं को गंदे पानी में करना पड़ रहा है स्नान
राजिम । प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम के सोन तीर्थ घाट इन दिनों गंदगी से अटा पड़ा हुआ है घाट पर कपड़े की ढेरी लग गई है तथा गंदे पानी से श्रद्धालुओं को स्नान करना पड़ रहा है। साफ सफाई नहीं होने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है। इस घाट की पौराणिक मान्यता भी है कहा जाता है कि यहां स्नान करने से सोना दान करने के बराबर फल मिलता है। पूरे देश भर से लोग स्नान दान अस्थि विसर्जन आदि कृत्य के लिए संगम में पहुंचते हैं और सोन तीर्थ घाट में अस्थि विसर्जन किया जाता है गंदगी के कारण लोग मुंह तो मोरते हैं लेकिन क्या करें धार्मिक कृत्य है मानकर गंदे पानी में ही सारे क्रिया कलाप करना पड़ता है इससे लोगों के मन मे व्यवस्था के प्रति रोष जरूर होता है। बाहर से आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु यही चाहते हैं कि यहां साफ-सफाई अच्छी तरह से होनी चाहिए। बताना होगा कि प्रमुख रूप से सोम तीर्थ घाट के अलावा संगम घाट, अटल घाट, नेहरू घाट, बेलाही घाट बना हुआ है। सभी घाट में सारे धार्मिक कृत्य किया जाता है इनमें से सबसे ज्यादा व्यस्त सोन तीर्थ घाट रहते हैं। प्रशासन ने यहां पर शानदार पचरी का निर्माण तो कर दिया है लेकिन साफ पानी की व्यवस्था नहीं कर पाई है अभी संगम में पानी बढ़ा हुआ है बावजूद इसके गंदे पानी में सारे कृत्य करने पड़ रहे हैं। इस स्थल पर प्रतिदिन सफाई होनी चाहिए परंतु सफाई की बात तो दूर अंत में श्रद्धालुओं को ही इकट्ठे गंदे कपड़े तथा अन्य गंदगी को साफ करना पड़ता है। ज्ञातव्य हो कि शहर के त्रिवेणी संगम छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश विदेश के लिए श्रद्धा के केंद्र है यहां गया, काशी, कांची, अवंतिका, उज्जैन, हरिद्वार, नासिक, पुष्कर आदि धर्म क्षेत्र की तरह लोगों की विश्वास जुड़ी हुई है नतीजा बड़ी संख्या में लोग यहां अपने पित्तृ के तर्पण तथा मुक्ति के लिए अस्थि विसर्जन संगम में ही करने के लिए आते रहते हैं। सुविधाएं नहीं होने के कारण लोगों को असुविधा का भेंट चढ़ना पड़ता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत की कल्पना को साकार करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रखी है इसी के अंतर्गत शहर को भी सफाई करने का जिम्मा है परंतु धर्म क्षेत्र होने के कारण जिला प्रशासन के अलावा प्रदेश सरकार को इनके सफाई के लिए कार्य योजना तैयार करनी बहुत जरूरी है। मात्र माघी पुन्नी मेला के समय शासन प्रशासन ब्लीचिंग पाउडर तथा अन्य व्यवस्था करती है बाकी समय पलट कर भी नहीं देखते हैं नतीजा धीरे-धीरे करके अशुद्धियां फैलती जाती है और गंदगी पैर पसार ली है। बसना से पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि हम घर से निकले थे तो एक साथ वातावरण तथा अच्छी मानसिकता के साथ यहां आए थे लेकिन सफाई के नाम पर अच्छी व्यवस्था नहीं है निश्चित ही हमें प्रभावित किया है।
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”