निर्माणाधीन सड़क पर गिरना और गिरकर उठना बन गई दिनचर्या,शहर के आमापारा रोड में गुजरने पर हिचकोले खाना जरूरी
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । शहर के आमापारा में निर्माणाधीन चौड़ीकरण सड़क की दुर्दशा इन दिनों देखते ही बन रही है सड़क टोटल गड्ढे में तब्दील हो गए हैं। चलने वाले राहगीर बार-बार गिर रहे हैं और गिर कर उठ भी रहे हैं। दर्जनों गांव के लोगों को राजिम शहर आने जाने के लिए कितनी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है। यह तो इन राहगीरों से ही सुना जा सकता है। शहर के लोग भी इससे बहुत ज्यादा परेशान हैं। आमापारा के सड़क चौड़ीकरण को बनाने में दो साल से भी ज्यादा समय लग गया है और अभी तक यह बन ही रहा है यही स्थिति रही तो लोग यही मांग करेंगे कि नया बनाने से तो अच्छा पुराना ही रहने दो। निर्माणाधीन सड़क में हर कदम पर गड्ढा है। अभी हो रहे लगातार बारिश से इन गड्ढों में पानी भर गया है जिसके कारण गाड़ियां चलते हैं तो पानी छिटककर पैदल यात्रियों के कपड़े गंदा कर रहे हैं कई बार तो हिचकोले खाते हुए लोग मुंह के बल गिर भी रहे हैं ऐसी दुर्दशा यहां के लोगों ने पहली बार देखी है। इस संबंध में अनेक बार शासन प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया गया तब जिम्मेदार अधिकारी ने बताया था कि सड़क बनाने की अवधि कंप्लीट हो चुकी है परंतु सड़क अनकंप्लीट है। देखते ही देखते बरसात लग गई और काम जहां तक हुआ था वहीं ठहर गया। पूरे बरसात तक यहां के लोगों को इसी तरह से गुजारा करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूली विद्यार्थियों को है वह सुबह 10:00 बजे स्कूल कॉलेज बड़ी संख्या में आते हैं। तकरीबन दो दर्जन गांव के छात्र छात्राएं साइकिल चलाते हुए बड़ी मुश्किल से शहर तक पहुंचते हैं और जब तक स्कूल के प्रेयर में सम्मिलित होते हैं उनके साथ ही क्लास में बैठते ही थक जाते हैं। उनकी पढ़ाई में जो एनर्जी होनी चाहिए वह नहीं होती है जिससे उन्हें पढ़ाई का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में सब्जी बाड़ी भी लगाए जाते हैं सब्जियां इकट्ठा कर लो शहर में बेचने के लिए लाते हैं तो कई लोग शहर से खरीद कर गांव के बाजारों में भेजने के लिए भी जाते हैं। इस दौरान लोगों की परेशानियां इस सड़क को देखते हुए बढ़ गई है। सब्जी ले जा रहे गैंदलाल, हेमराज, बिसाहू, कामता प्रसाद, दीनदयाल ने बताया कि सड़क की स्थिति से प्रतिदिन हमारे गाड़ी बिगड़ रहे हैं जो कुछ भी कमाई होता है वह इन्हें बनाने में ही खर्च हो जाता है हमारी सारी इनकम यह जर्जर सड़क ले लिया है हम क्या करें बहुत कठिनाई से आना-जाना करते हैं कम से कम इन गड्ढे को तो बराबर कर देना चाहिए था वह भी नहीं किया है कैसी व्यवस्था है। इसी तरह से छात्रा महेश्वरी, पूर्णिमा, दिनेश्वरी, वाणी, सुनीता, संतोषी, बबीता ने बताया कि वह प्रतिदिन राजिम स्कूल पढ़ाई के लिए आते हैं। पहले की अपेक्षा एक घंटा पूर्वक घर से निकलना पड़ता है तब कहीं हम समय में पहुंच पाते हैं। हिचकोले खाते हुए बड़ी मुश्किल से आवागमन करते हैं हम पूरी तरह से थक जाते हैं। इन बच्चों ने कहा कि कम से कम गड्ढे हुए सड़क को तो बराबर कर देते जिससे आने जाने में सोहलियत होती। इसी तरह से अनेक उदाहरण लोगों के मुंह जुबानी प्रतिदिन होती रहती है साईकिल यात्री बड़ी मुश्किल से चला पाते हैं बाइक वाले गिरते रहते हैं तथा कार को भी क्षति होती है सड़कों की स्थिति ने लोगों को पूरी तरह से प्रभावित कर रखा है। अभी बरसात के जैसे तैसे 3 महीने और शेष है यही स्थिति रही तो निश्चित रूप से कोई बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता। लोगों ने मौसम खुलते ही सर्वप्रथम इन गड्ढों को पाटने की मांग की है। बताना होगा कि इसी मार्ग पर शराब भट्टी भी है। पीने वाले चले तो जाते हैं परंतु टुन होकर जैसे ही वापस आते हैं अनेक दुर्घटनाओं से गुजरते हुए बड़ी मुश्किल से घर पहुंचना होता है। बताया गया कि रक्षाबंधन को भाई बहन इसी मार्ग से होकर जा रहे थे गड्ढे में उनकी बाइक आने के कारण दोनों इस कदर गिरे कि बहन दूर जाकर छिटक पड़े और भाई को भी चोटे आई।