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Chhattisgarh

नम आंखों से मां दुर्गे को विदाई, उमड़ा आस्था का सैलाब

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । सुबह से ही मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का दौर शुरू हो गया। नगर के प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर में सुबह9 बजे विसर्जन प्रक्रिया प्रारंभ हुई। माता सेवा गीत गाते हुए सेवक दल के साथ मुख्य जोत तालाब ले गए और वहां विसर्जित की गई, उसके बाद दुर्गा प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए तैयारियों के साथ माता की भक्ति गीत गाते हुए तलाब ले गए। संगम नदी में पानी कम है इसलिए सभी मूर्तियां तालाब में ही विसर्जित की गई। गांव में भी विसर्जन में जनसैलाब उमड़ गया था भक्तगण नए वस्त्र धारण कर माता की विदाई देने के लिए खुद से चलकर आए इस दौरान पंडाल में जाकर रूपए पैसे के अलावा महिलाएं दाल चावल तथा अन्य दान किए। विसर्जन यात्रा में माता के जस गीत मैं ढोलक, दफड़ा, मांदर, टासक, मजीरा, झांज, घूंगरू आदिवासी अंतर जब बजे तो देवता चढ़ा गया। चूहा करते हुए देवताओं की अंबार देखने को मिला। सॉन्ग भी लिया गया। देखते ही देखते शहर से लगे गांव चौबेबांधा में करीब 15 लोगों ने सांग लेकर नाचना शुरू किया तो देखते ही बन रही थी। छोटी उम्र के बच्चे से लेकर बड़े उम्र के युवा भी श्रद्धा से ओतप्रोत हो गए थे। तथा बुजुर्ग इस दृश्य को देखने के लिए साथ में ही चल रहे थे। छोटे बच्चों के लिए छोटी सॉन्ग तथा बड़ों के लिए बड़ा सांग की व्यवस्था दुर्गा समिति द्वारा की गई थी। इनके अलावा कुछ लोग अपने पीठ पर आकर खुद पीट रहे थे। सांकड़ लोहे का बना हुआ है। जिसे शरीर पर टच करने से यहां तक कि खून भी निकल जाते हैं। बार बार पेट पर तेज गति से टच किया जाता है जिसके कारण उनके पीठ से ही हल्की खून निकलना शुरू हो जाता है इसे मां की भक्ति के रूप में परोसा जाता है यह दृश्य देखकर छोटे बच्चे अचंभित हो गए और यह प्रक्रिया सुबह से लेकर शाम तक चलती रही इसी तरह से सिंधौरी, बरोड़ा, श्यामनगर, तर्रा, कुरूसकेरा, कोपरा, भेंडरी, रावड़, लोहरसी, धूमा, परतेवा, देवरी, बेलटुकरी, पीतईबंद, भैंसातरा, लफंदी, बकली, परसदा, अरंड, पोखरा, हथखोज, पीपरछेड़ी, रोहिना, खुटेरी, पथर्रा, नवाडीह, पीपरछेड़ी, सेंहरतरा, कोपरा आदि गांव में मां के विदाई में लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े और भावभीनी विदाई दी गई। उल्लेखनीय है कि पिछले 2 वर्षों से कोरोनावायरस के कारण का गाना नवरात्र पर्व धूमधाम से मनाया गया था इस बार करोना के प्रभाव कम होने के कारण भक्तों की श्रद्धा उभर कर सामने आई।

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