गुंडों की पाठशाला: यहां दी जाती है अपराधी बनने की कोचिंग,देखें पूरी खबर
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में इन दिनों आईपीसी की धारा 302 और 307 की खूब चर्चा है। इसकी वजह ये है कि यहां के दो नाबालिग अपराधियों ने अपना नाम ही 302 और 307 रख लिया है। इतना ही नहीं ये दोनों नाबालिग नशे के आदि युवाओं को ब्लेड से हमला करने, चाकूबाजी और पॉकेट मारी जैसे अपराधों की कोचिंग भी दे रहे हैं। इन दोनों ने इसी कोचिंग से अपना-अपना गैंग तैयार कर लिया है और इनके गैंग को भी 302 और 307 के नाम से जाना जाता है।
अपराध की कोचिंग
दुर्ग के भिलाई में रहने वाले ये दोनों नाबालिग बीते दिनों ही जेल से सजा काट कर लौटे हैं। दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं और दोनों अपना-अपना गैंग बनाकर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं। यही वजह है कि दोनों भिलाई के खुर्सीपार, छावनी, जामुल और सुपेला थाना क्षेत्र में नशे के आदि और पढ़ाई छोड़ चुके युवाओं को ब्लेड कटर, चाकूबाजी, पॉकेट मारी, चेन स्नेचिंग आदि अपराधों की कोचिंग देने में जुटे हैं। दोनों शातिर युवाओं को नशे की गोलियां भी देते हैं, जिनके लालच में नशे के आदि युवाओं के अपराध की दलदल में फंसने की आशंका पैदा हो गई है।इतना ही नहीं 302 और 307 अपराध की कोचिंग देने के साथ ही युवाओं को चाकू भी मुहैया कर रहे हैं। इन दोनों नाबालिगों और उनके गैंग के चलते भिलाई के कई इलाकों में दहशत का माहौल है। वहीं पुलिस का कहना है कि दोनों अपराधियों के गैंग की पूरी लिस्ट तैयार है, जल्द ही इन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। दुर्ग के एसपी बद्रीनारायण मीणा ने बताया कि अपराध की ट्रेनिंग मिलने से कई अपराधी तैयार हो सकते हैं और कई युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है।दोनों मुख्य आरोपी नाबालिग हैं, इसलिए पुलिस उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने से बच रही है। लेकिन इस बात की आशंका है कि 302 और 307 कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकते हैं। फिलहाल पुलिस इनकी गतिविधियों पर नजर रख रही है। एसपी का कहना है कि नशा व पैसों की कमी अपराध की अहम वजह बनते हैं। युवाओं की काउंसिलिंग की जाएगी और मुख्य आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।