राजिम का जिला बनने से होगा सांस्कृतिक, साहित्यिक और पुरातात्विक विकास
राजिम को जिला बनाने की मांग के लिए कलाकार संघ भी आए सामने
राजिम। गत दिनों जिला मुख्यालय गरियाबंद में सिरजन लोककला एवं साहित्यिक संस्था जिला इकाई की बैठक हुई जिसमें लोक कलाकार एवं साहित्यकारों ने राजिम जिला का जोर शोर से समर्थन किया। वैसे तो राजिम देश ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर अपनी अनेक विशेषताओं को समेटे हुए है। विशेषकर इतिहासकारों के अनुसार यहां का पुरातात्विक, भौगोलिक, प्राकृतिक स्थिति अत्यंत मनोरम होने से एतिहासिक मंदिर में सुसज्जित मैथुनरत शैलचित्र एकाएक अपने ओर आकर्षित करते हैं। उल्लेखनीय है कि अनेकों धार्मिक सांस्कृतिक विरासत के कथा कहानियों को समेटे इस धर्म नगरी को जिला बनाने की मांग में पूरी तरह से समर्थन करते हुए सिरजन लोक कला साहित्य संस्था के संस्थापक गौकरण मानिकपुरी ने कहा है कि राजिम को जिला बनाने से चहुं मुखी विकास होने के साथ-साथ यहां से जुड़े सांस्कृतिक, साहित्यिक, पुरातात्विक और धार्मिक गतिविधियों को नई पहचान मिलेगी। कला परंपरा परिवार जिला गरियाबंद के संयोजक राजकुमार यादव ने कहा है कि राजिम को जिला बनाने की मांग का हम पूरा समर्थन करते हैं क्योंकि यहां की बहुविशेषताओं के अलावा यहां के मठ मंदिर आश्रम तीन नदियों का संगम और संत महंतों का जन्म स्थली तपोभूमि रहा है और कई साहित्यकार विचारक कवि लेखक और कलाकार भी इस माटी में जन्म लेकर क्षेत्र और राजिम जिला ही नहीं बल्कि पूरे देश विदेशों में नाम कमाया है जो माटी की विशेषता है। राजिम सांस्कृतिक दृष्टिकोण से काफी समृद्ध है जब से शासन द्वारा राजिम कुंभ और माघी पुन्नी मेला का रूप अस्तित्व में आया है तब से लेकर कलाकारों के लिए वरदान बन गया है। पंडवानी गायिका यशोमती सेन ने कहा कि हालांकि पंडवानी और नाचा जैसे लोग विधा के लिए अलग से मंच तैयार किया जाता है किंतु जिले के सभी कलाकारों को अवसर मांग करने पर दिया जाता है जिला बनने से इनकी जरूरत भी नहीं होगी।