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कृष्ण सुदामा का प्रेम मित्रता की मिशाल: दिलीप त्रिपाठी,बरोण्डा हुआ भागवत मय,दूर दराज से पहुंच लोग कर रहे कथा रस पान

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”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम।
राजिम के समीप ग्राम बरोण्डा मे विनायक परिवार द्वारा पंडित दिलीप त्रिपाठी के मुखार विंद से चल रहे श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा। कथावाचक पं. दिलीप त्रिपाठी महाराज बामनडीह वाले ने कई कथाओं का भक्तों को श्रवण करवाया। कथा प्रसंग में पं. गणेश ने बताया कि असल में श्री कृष्ण ने केवल 8 बार ही शादी थी। उनकी केवल 8 पत्नियां थीं, जिनके नाम रुखमणि, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था। जो महाभारत के अनुसार श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी रानी रुक्मिणी थीं। प्रभु कृष्ण के 16108 शादियों के प्रसंग के साथ श्री कृष्ण ने इन कन्याओं को कारावास से मुक्त कराया और उन्हें वापस घर भेज दिया। इस कहानी का अंत यहीं नहीं हुआ, जब ये कन्याएं घर पहुंचीं तो परिवारवालों ने चरित्र के नाम पर इन्हें अपनाने से इनकार कर दिया, तब श्री कृष्ण ने 16100 रूपों में प्रकट होकर एक साथ उनसे विवाह रचाया था। सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई। उन्होंने बताया सुदामा के पास कृष्ण नाम का धन था। संसार की दृष्टि में गरीब तो थे, लेकिन दरिद्र नहीं थे। अपने जीवन में किसी से कुछ मांगा नहीं। पत्नी सुशीला के बार-बार कहने पर सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने गए। भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा। भगवान अपने स्तर से सब कुछ दे देते हैं। कथा श्रवण करने वालो के क्षेत्र के युवा नेता भुनेश्वर सिन्हा,कृपाल निषाद,सुयश सेन, मालिकराम निषाद,महेंद्र निषाद,लोकेश निषाद,हिमांशु निषाद ,कामेश निर्मलकर,अजीत निषाद सहित बड़ी संख्या में भक्तजनों ने कथा का रसपान किया ।सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। इसके उपरांत दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं के बारे में बताया। कथा के दौरान कथाकार महाराज ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही, जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्घार हो जाता है, तो वहीं इसे करवाने वाले भी पुण्य के भागी होते है।

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