राधा कृष्ण की वेशभूषा में बालक बालिकाएं का मनमोहनी रूप लोगों को लुभाया
राजिम। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर नगर सहित ग्रामीण अंचलों में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर गली मोहल्लों में छोटे बच्चों के द्वारा राधा कृष्ण का वेश धारण किया गया। जींस पहनने वाले बच्चे धोती पहन कर कृष्ण की भांति मोर मुकुट तथा बांसुरी लेकर तैयार हुए वहीं दूसरी ओर छोटी बच्चियां राधा की भांति कपड़े पहनकर जैसे ही इन राधा कृष्ण एवं सखाओं की टोली घर से बाहर मोहल्ले में निकली तो लोग इनके झलक पाने के लिए घर से बाहर निकले और दर्शन किए। किसी ने समीप जाकर प्रणाम किया तो किसी ने मन से ही प्रणाम किया। कुछ बच्चों की टोली मटकी फोड़ने के लिए पिरामिड का आकार देते हुए मटकी फोड़ने का प्रयास किया। जन्माष्टमी को बच्चों ने राधा कृष्ण के वेश धरकर धूमधाम के साथ मनाया। चूंकि अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण जन्म लिए थे इसलिए घर के दीवाल पर आज श्रीआठे गोकुल का जन्मदिन है लिखा गया तथा कृष्ण को मथुरा से वृंदावन पहुंचाने के लिए पिता वासुदेव नदी को पार करते हैं इस दौरान उन्हें सर्फ बिच्छू आदि जहरीले जीव जंतुओं के दर्शन होते हैं उनका चित्र लोगों ने अपने घरों पर उकेरा। इसे मंगल कामना का प्रतीक माना गया है। श्रद्धालुओं ने इस मौके पर व्रत उपवास भी रखे हुए थे जो रात 12:00 बजे कृष्ण जन्माष्टमी मनाकर पारणा किया। मंदिरों में भजन कीर्तन का कार्यक्रम हुआ। नगर की राधा कृष्ण मंदिर के अलावा अन्य मंदिरों में भी कृष्ण की कथा कही गई। इस दौरान जय कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी शब्द गुंजायमान होने लगा। नगर के अलावा चौबेबांधा, सिंधौरी, बरोड़ा, श्यामनगर, तर्रा, कुरूसकेरा, कोपरा, भेंडरी, रावड़, लोहरसी, धूमा, परतेवा, देवरी, बेलटुकरी, पीतईबंद, भैंसातरा, लफंदी, बकली, परसदा, अरंड, पोखरा, हथखोज, पीपरछेड़ी, सेंहरतरा, पथर्रा, नवाडीह आदि गांव में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”