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Chhattisgarh

सब्जी के बजाय गेंदा फूल की खेती से अच्छे मुनाफे कमा रहे- विष्णु सोनकर

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राजिम। फसल चक्र परिवर्तन किसानों की न सिर्फ तकदीर बदली है बल्कि तस्वीर भी बदल कर रख दी है। शहर के फिंगेश्वर रोड पर पेट्रोल पंप के पास विष्णु सोनकर के घर और बाड़ी दोनों लगा हुआ है वह प्रतिवर्ष इसमें गोभी, बैंगन, मिर्च, करेला, बरबट्टी, भिंडी, ग्वार फली, मूली, पालक भाजी आदि की खेती करते थे। इसमें उनको लागत मूल्य अधिक हो जाती थी। कीट पतंगे से फसलों को बचाना चुनौती हो गया है। इन सबको देखते हुए इनकी फसल चक्र परिवर्तन करने की इच्छा जाहिर हुई और इन्हें मूर्त रूप देने के लिए सीधे रायपुर के कृषि फार्म में संपर्क किया। वहां से उन्होंने गेंदा फूल के पौधे प्रति नकद 2रु के हिसाब से ले आए और लाकर अपने 35 डिसमिल के बाड़ी में लगा दिए। देखते ही देखते पौधे की ऊंचाई बढ़ने लगी। जिस तरह से खाद पानी देने का काम अन्य फसलों के लिए करते हैं उसी भांति गेंदे के इस पौधे को बड़े करने के लिए बराबर दवाई का छिड़काव किए। खाद डाली गई तथा कोडाई कर उनका जतन किया गया। फसल तैयार हो गया फूल आने लगे। विष्णु सोनकर ने आगे बताया कि 20 दिन हो गए वह लगातार फूलों की तोड़ाई कर रहे हैं। आगे वह दीपावली तक फूल बेचने का काम करेंगे, तब तक इन्हें आय मिलती रहेगी। 2 महीने तक निरंतर फूलों की खेती से कमाई होता रहेगा अभी तक इन्होंने लागत मूल्य वसूल कर लिए हैं अब इधर वह मुनाफा प्राप्त करेंगे। उन्होंने बताया कि सारी फुल राजिम एवं नवापारा दोनों शहर में बिक जाती है उन्हें बड़े शहर राजधानी रायपुर ले जाने की आवश्यकता नहीं है। राजिम में ही थोक में 50रु किलो में गेंदा फूल खरीद लेते हैं। चिल्लर में वह 80 से लेकर 100रु किलो तक में भी फूल बेचते हैं। उल्लेखनीय है कि राजिम धर्म नगरी है यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में टूरिस्ट के अलावा श्रद्धालुगण आते रहते हैं। भगवान में पुष्प अर्पित किया जाता है। इनके अलावा सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में फूलों का महत्वपूर्ण योगदान होता है उसमें गेंदा फूल चार चांद लगा जाते हैं। इस किसान को गेंदा फूल से कमाई जो हो रही है इससे वह बहुत प्रसन्न है। अब शहर के अलावा अंचल के किसान फसल चक्र परिवर्तन पर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं कहीं सिंघाड़े की खेती तो कहीं पर कमल फूल व गेंदा फूल की खेती हो रही है। इसी तरह से और किसान फूलों की खेती करें तो राजिम फूलों की खेती के नाम से प्रसिद्ध होगी। यहां एक बड़ी आबादी निवास करती हैं। त्रिवेणी संगम नदी के दोनों पाट पर दो शहर राजिम और नवापारा को मिला दिया जाए तो 80 से 85 हजार की जनसंख्या निवास करती है इनके लिए एक फूलों का बड़ा बाजार खुल जाए तो किसानों को सुविधा तो होगी साथ ही कम लागत पर अच्छी मुनाफा भी मिलेगा।

“संतोष कुमार सोनकर की रिपोर्ट”

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