भूख-प्यास से नहीं, उम्रदराज होने से गायों की हुई स्वाभाविक मौत, कलेक्टर के निर्देश पर पशुपालन और राजस्व विभाग के अधिकारी जांच के लिए पहुंचे रामपुर
कोरबा। पाली विकासखण्ड के ग्राम पंचायत घुनघुट्टी पारा रामपुर के कांजी हाउस में गायों की मौत भूख-प्यास से नहीं बल्कि उम्रदराज होने के कारण स्वाभाविक रूप से हुई है। इस कांजी हाउस में लावारिस मवेशियों को रखा जाता है। इन मवेशियों का कोई मालिक नहीं होने के कारण कांजी हाउस में ही पैरा-पानी आदि की व्यवस्था की गई है। स्थानीय समाचार पत्र में भूख-प्यास से गायों की मौत की खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कलेक्टर रानू साहू ने इसकी जांच के लिए जिला पंचायत सीईओ की अगुवाई में दल बनाकर तत्काल मौके पर भेजा था। इस दल में पशुपालन विभाग के उपसंचालक सहित पाली के एसडीएम, हरदीबाजार के तहसीलदार और जनपद के सीईओ भी शामिल थे। जांच दल ने सुबह मौके पर पहुंचकर बाजारपारा कांजी हाउस का मुआयना किया और वहां मौजूद लोगों तथा जनप्रतिनिधियों से गायों की मौत के बारे में पूरी जानकारी ली। ग्रामीणों ने बताया कि खरीफ मौसम में खेतों में लगी फसल को चराई से बचाने के लिए इस कांजी हाउस में जुलाई महीने से लावारिस मवेशियों को रखा जा रहा है। इन मवेशियों का कोई उपयोग नहीं होने के कारण इनके मालिकों ने इन्हें छोड़ दिया है। पशु चिकित्सक एवं पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ. एस. पी. सिंह ने बताया कि मवेशियों की मृत्यु एक दिन में नहीं बल्कि जुलाई महीने से लेकर अलग-अलग दिनों में हुई है। सभी मवेशी लावारिस थे। उन्होंने बताया कि आज सूचना मिलने पर मृत गाय का पोस्टमार्टम भी कराया गया है। मृत गाय की उम्र लगभग 9 वर्ष थी। पोस्टमार्टम पर गाय के स्टमक में पर्याप्त मात्रा में चारा पाया गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि कांजी हाउस के मुआयने के दौरान वहां पैरा और पानी की भी व्यवस्था पाई गई है। गाय की मौत भूख-प्यास से नहीं बल्कि उम्रदराज होने के कारण स्वाभाविक मृत्यु हुई है। डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि मौके पर मौजूद बाजार पारा के अनुपयोगी लावारिस मवेशियों का इस दौरान स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया है जिसमें दो गायों को छोड़कर बाकी मवेशी स्वस्थ पाए गए हैं। एक गाय का पैर फैक्चर पाया गया है और दूसरी गाय फेंसिंग तार में फंसने से घायल होना पाई गई है। दोनों मवेशियों का उपचार पशु चिकित्सको द्वारा कराया जा रहा है। फैक्चर पैर वाली गाय को पास ही स्थित मुरली गौशाला में स्वास्थ्य लाभ के लिए रखा गया है। जांच दल ने उपस्थित ग्रामीणों से भी पशुओं की मौत के बारे में जानकारी प्राप्त की है और उनके बयान भी दर्ज किए हैं। ग्रामीणों के दर्ज बयानों से पता चलता है कि लावारिस अनुपयोगी पशुओं की मृत्यु एक दिन में नहीं बल्कि विगत जुलाई माह से अलग-अलग दिन हुई है। पशुओं की मौत किसी बीमारी या भूख-प्यास से नहीं हुई है बल्कि उम्रदराज होने के कारण इन पशुओं की स्वाभाविक मृत्यु हुई है।