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अक्षय तृतीया पर बच्चों ने रचाया गुड्डा गुड़ियों की शादी

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संतोष सोनकर की रिपोर्ट

राजिम। अक्षय तृतीया के अवसर पर आज सुबह से ही गांव में काम-धाम बंद करके ठाकुर देव स्थल पर धान चढ़ाया तथा धान बोनी का शुभारंभ किया। देव स्थल पर ग्रामीण बैगा धान छिड़काव कर रहे थे तथा कुछ लोग जोताई में लगे रहे। इस तरह से खरीफ फसल के सुरक्षा के लिए भगवान से सभी से कामना की। पश्चात दोना में रखें धान को किसान अपने अपने घर ले आए और उसे अपने खेतों में जाकर छिड़काव किया। इधर छोटे छोटे बच्चियों के द्वारा घरों में मंडप सजाया गया और बकायदा छोटे-छोटे बालक बालिकाओं के द्वारा निशान की धुन पर तेल माटी, चूल माटी, बरात स्वागत एवं पाणिग्रहण की रस्म अदायगी की गई। मिट्टी से बने गुड्डा गुड़ियों को छोटे कपड़ों से सजाया गया था तथा उनके सिर पर मौर बांधा गया। बकायदा टिकावन की शुरुआत हुई। परिवार के सदस्य सहित अन्य लोग भी एक दूसरे के घरों में जाकर टिकावन में रुपए समर्पित करते रहे। इस तरह से अक्षय तृतीया पर सामाजिक एकता का बोध स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। बालिका गूंजेश्वरी, वाणी, डिंपल, हर्षिता ने बताया कि वह प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया पर गुड्डा गुड़ियों का विवाह रचाते हैं। त्योहारी परंपरा के निर्वहन उन्हें बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने बताया कि इससे परंपरा का निर्वाह के साथ ही सांस्कृतिक विकास होता है। इसी तरह से जागृति, सानवी, याशिका, रितु, खुशी ने बताया कि टिकावन से रूपये मिलेगा उसे बांटकर पढ़ाई के समान खरीदेंगे। कुछ बच्चे ने खिलौने खरीदने की बात कही। इन बच्चियों के भाई खिलेंद्र, नमन, खोमन ढोलक लेकर बजाते रहे। वैसे अक्षय तृतीया को देव लग्न माना जाता है इस लिहाज से अंचल में बड़ी संख्या में शादियां हुई और जिनके घर में शादी नहीं हुई उनके घर के छोटे बच्चियां गुड्डा गुड़ियों के शादी रचा कर हर घर परिवार में शादी का माहौल बन गया।

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