पंचकोशी पीठ फिंगेश्वर हर हर महादेव से गूंजा

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। पंचकोशी शिवपीठ फिंगेश्वर में यात्रा का चौथा पड़ाव रविवार को हुआ। माना जाता है कि पंचकोसी परिक्रमा करने से मनुष्य पुण्य के प्रतिभागी बनते हैं। इसमें पांच पड़ाव होते हैं। पहला पटेवा स्थित पटेश्वरनाथ महादेव, दूसरा चंपारण स्थित चंपकेश्वर नाथ महादेव, तीसरा बम्हनी ब्रह्मनेश्वरनाथ महादेव, चौथा फिंगेश्वर के फनीकेस महादेव तथा पांचवा सोमवार को कोपरा स्थित कर्पुरेश्वर नाथ महादेव पहुंचेगी। उसके बाद लफंदी के औघड़नाथ महादेव तथा राजिम के पदमा तालाब में स्नान के बाद कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर से ही यात्रा का समापन होगा। सुबह से ही फिंगेश्वर पहुंचने का क्रम शुरू हुआ। पंचकोशी यात्रियों ने बताया कि बम्हनी से पहट 4:00 बजे जयकारा लगाते हुए निकलें। रास्ते में लाफिन कला, लाफिन खुर्द, लचकेरा, सोनासिली, पथर्री होते हुए नदी पार होते फनीकेश महादेव की नगरी पहुंचे। मौली तालाब में स्नान उपरांत महादेव के दर्शन करने के लिए जल, बिल्वपत्र, शक्कर, सुगंधित तेल, धतुरा,कनेर इत्यादि पूजन सामग्री अर्पित किए। जलाभिषेक से गर्भगृह भर गया। बिल्वपत्र से शिवलिंग ढ़क गया था। हर हर महादेव का जयघोष होते रहे। धर्ममय वातावरण फिंगेश्वर नगर में गुंजायमान हुआ। लोगों की श्रद्धा आज देखते ही बन रही थी। पंचकोशी यात्रियों के साथ ही नगर के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में पहुंचे और महादेव की पूजा अर्चना करने लगे। आदिशक्ति देवी मावली माता तथा पंच मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। बताना जरूरी है कि पंचकोशी यात्रा खुद अपने हाथ से भोजन बनाकर प्रसाद ग्रहण किए। नगर वासियों के द्वारा चाय नाश्ता तथा पंडाल, पानी टैंकर इत्यादि की सुविधाएं मुहैया कराई गई थी ताकि किसी भी यात्रियों को कोई परेशानी ना हो। उल्लेखनीय है कि प्राचीन कालीन फणीकेश्वर नाथ महादेव के मंदिर को देखकर पंचकोशी यात्री प्रसन्न हो गए। इतनी प्राचीन मंदिर जो बड़े-बड़े पत्थरों को तराशकर आकार दिया गया है। मंदिर के महामंडप 16 खंभों पर टिका हुआ है। जानकारी के मुताबिक मंदिर को गुप्तकालीन माना जाता है। मैंथुनरत प्रतिमाएं आश्चर्य में डाल देती है। प्राचीन ग्रंथों से जानकारी मिलती है कि एक बार शेषनाग शरीर रूप धारण करके धरती से पृथक कमलक्षेत्र पहुंचे उन्होंने भगवान राजीवलोचन से वर पाकर पार्वती सहित फनिकेश महादेव की स्थापना किया। श्रीमद्राजीवलोचन महात्तम के अनुसार एक कमल पुष्प ब्रह्मा की आज्ञा से धरती में गिरा और पांच कोस भूमंडल को व्याप्त कर लिया। कमल फूल के पांच पंखुड़ी पर पांच शिवपीठ स्थापित हुए जिन्हें पंचकोशी धाम के नाम से जाना जाता है। उनमें से एक धाम फिंगेश्वर स्थित फणीकेश्वर नाथ महादेव है। माना जाता है कि पंचकोशी यात्रा करने से भक्तों की मुरादे पूरी हो जाती है। यात्रा में छोटे-छोटे बच्चे को लेकर कुछ मां पहुंची हुई है। उन्होंने बताया कि उनके बच्चे नहीं आ रहे थे तब श्रद्धा के साथ में पंचकोशी यात्राएं की और महादेव से मनोकामना पूर्ण करने का याचना किया। महादेव ने उनकी पुकार सुन लिया, इसलिए बच्चे के साथ हम पंचकोशी यात्रा कर रहे हैं। ऐसे ही अनेक भक्तगण मनोकामना लेकर भी पहुंचे हुए हैं। बताया जाता है कि पंचकोशी यात्री पैदल एक सप्ताह तक चलते रहते हैं इस दौरान प्रत्येक रात्रि शिव पीठ पर विश्राम करते हैं। सोमवार को सुबह कोपरा के लिए रवाना हो जाएगी।

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