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Chhattisgarh

महादेव को भोग लगाने के बाद ही पंचकोशी यात्री किये भोजन

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंपारण की भूमि में सुबह-सुबह लोगों ने जैसे ही आंखें खोलें राम सिया राम की आवाज सुनाई दी निकल कर देखें तो और कोई नहीं बल्कि पंचकोसी परिक्रमा करने वाले यात्रीगण थे। इनके ईश्वर नाम रटन को देखकर गांव वाले खुद राम सिया राम का जयघोष करते रहे। पूरा चंपारण समेत पंचकोशी परिपथ हर हर महादेव तथा राम सियाराम से गूंज उठा। रास्ते भर तक जगह जगह चाय नाश्ता हलवा इत्यादि की व्यवस्था गांव वासियों ने किया। उन्हें रोक रोक कर चाय पीने का निवेदन करते रहे। साथ ही उनके रुकने के लिए रामधुनी कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे थे जिनमें प्रमुख रूप से पारागांव और लखना में तो सुबह-सुबह शानदार राम नाम कार्यक्रम हो रहा था। यमुना जी में स्नान करने के बाद पूजन अर्चन किया तथा भोजन बनाएं। भोजन को सबसे पहले थाल में निकालकर एक जगह रखें और पंचकोशीपीठाधीश्वर पंडित सिद्धेश्वरानंद महाराज के मार्गदर्शन में भजन कीर्तन संपन्न हुआ जिसमें प्रभु नाम का स्मरण करते हुए भोजन का भोग लगाया गया पश्चात सभी यात्रीगण भोजन रूपी प्रसाद को ग्रहण किया। बताना होगा कि प्रदेश के कोने-कोने से इस यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे हुए हैं उन्होंने बताया कि दुनिया का सबसे विलक्षण और दिव्य धाम पंचकोशी यात्रा मनोकामना की पूर्ति करते हैं।चंपेश्वरनाथ महादेव में चढ़े बिल्वपत्रजैसे ही पंचकोशी यात्रियों का आगमन शुरू हुआ उसके बाद तो मंदिर में भीड़ बन गई। जलाभिषेक किया गया। धतूरा, केसरिया, बिल्वपत्र, नारियल अगरबत्ती इत्यादि पूजन सामग्री से महादेव का शिवलिंग ढ़क गया था। मंदिर समिति द्वारा हलवा प्रसाद की व्यवस्था किया गया था। श्रद्धालुओं ने महामृत्युंजय मंत्र तथा महादेव के पंचाक्षरी महामंत्र का जाप किया। बताया गया कि पंचकोशी यात्रा अपने पांव उठाते हैं राम सिया राम का उच्चारण करते हैं तथा पंचकोशी पीठ की जय कारा लगाते रहते हैं।यात्रीगण लंबी दूरी के कारण संभलकर से चलते रहेचूंकि पंचकोशी यात्रा पैदल बिना चरण पादुका के ही किया जाता है। बताना होगा कि चप्पल या फिर जूते पहनकर इतनी दूरी चलने में ही लोग पसीने पसीने हो जाते हैं या फिर नाम सुनकर ही पैदल चलने से कतराते हैं लेकिन जैसे ही यात्री पटेवा से निकले रेती ट्रक चलने के कारण सड़क की हालत खस्ता हो गई थी छोटे-छोटे गिट्टी बाहर निकल आई थी। पांव में जैसे ही पड़ते यात्री विचलित नहीं हो रहे थे बल्कि महादेव का नाम ले रहे थे। राजिम से पटेवा 6 किलोमीटर की दूरी पर है पहले दिन जैसे-तैसे यात्री सरलता से पहुंच गए लेकिन दूसरे दिन नवापारा से ही 14 किलोमीटर दूर चंपारण और पटेवा से राजिम की दूरी 6 किलोमीटर अर्थात 20 किलोमीटर की दूरी भक्तों के साथ परीक्षा थी और सभी श्रद्धालु इस परीक्षा में पास भी हो गए।मंदिर में फोटो खींचने से किया मनाबताना होगा कि श्रद्धालुओं की अपार भीड़ को देखते हुए लोगों ने फोटो खींचना चाहा लेकिन वहां पर चस्पा नोटिस बोर्ड ने रोक दिया एक पत्रकार ने फोटो लेने के लिए उपस्थित मंदिर समिति के सदस्य से पूछा तो उन्होंने साफ मना कर दिया चाहे पत्रकार हो या फिर आम जनता फोटो लेना सख्त मना है। चूंकि धार्मिक स्थलों पर फोटो खींचने का अर्थ यही होता है कि लोग बड़ी दूर से दर्शन पूजन के लिए आए रहते हैं और फोटो खींचकर वह उस पल को हमेशा याद करना चाहते हैं लेकिन आजकल बड़े तीर्थ स्थल की भांति यहां भी परंपरा कहे या फिर नियम बन गई है यह फोटो खींचना मना है इससे श्रद्धालु नीरस हो जाते हैं। श्रद्धालुओं ने मंदिर कमेटी के सदस्यों से मांग किया है कि फोटो खींचने पर मना ही ना करें।चंपेश्वरनाथ की स्थापना चंपक राजा ने कियाधार्मिक ग्रंथों के अनुसार चंपक राजा हुए जिन्होंने यज्ञ किया यज्ञ में ऋषि मुनियों को बड़ी संख्या में आमंत्रित किया। सभी प्रसन्न हुए पश्चात राजा ने चंपकेश्वर नाथ महादेव की स्थापना किया। 14 जनवरी दिन शनिवार को यात्रीगण बम्हनी स्थित ब्रह्मकेस्वर नाथ महादेव के लिए सुबह से रवाना हो जाएंगे।

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