कवि कागज का तलवार बनाकर लोहे को काटने का हुनर रखते हैं: पुष्पा गोस्वामी
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । स्थानीय गायत्री मंदिर सभागृह में प्रयाग साहित्य समिति के तत्वाधान में मासिक काव्य गोष्ठी के अंतर्गत काव्य समारोह का आयोजन संपन्न हुआ। उपस्थित अतिथियों ने मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कवि नूतन साहू ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। पश्चात प्रयाग साहित्य सम्मान 2022 से फिंगेश्वर के कवि एवं साहित्यकार थानुराम निषाद अकेला को सम्मानित किया गया। तीज पर्व पर शानदार गीत लिखने तथा गीत के फिल्मांकन पर इतिहास रचने वाले कवि श्रवण प्रखर को अंगवस्त्र एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। मौके पर उपस्थित टीकमचंद दिवाकर एवं गोकुल सेन को उनके जन्मदिन एवं उत्कृष्ट साहित्य रचना के लिए कलम तथा डायरी से नवाजे गए।
मुख्य अतिथि की आसंदी से नगर पंचायत के सभापति पुष्पा गोस्वामी ने कहा कि कवि साहित्यकार मां सरस्वती के वरद पुत्र होते हैं। वह कागज रूपी तलवार से लोहा काटने का हुनर रखते हैं। रचनाकार कभी चुप नहीं रहते उनके अंदर शब्दों का अंतर्द्वंद चलता रहता है और उसके बाद जो सार तत्व है वह लिपिबद्ध होकर बाहर निकलते हैं। कवि होना इतना सरल नहीं है। साहित्य समाज का दर्पण है। समाज में जो होता हैं वह उन तत्वों को लिखते हैं दिखाते हैं और इस तरह से समाज सुधार में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। अध्यक्षता कर रहे सेवानिवृत्त शिक्षक एवं रामायण व्याख्याकार रामप्यारे ठाकुर ने कहा कि मेरी नजर में कवि का मतलब ज्योतिषी होता है वह भविष्य की घटनाओं का पहले से आकलन कर लेते हैं। यहां के कवि एवं साहित्यकारों की रचनाएं पाठ्य पुस्तक में हो ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इनके विचारों से रूबरू हो। वैसे क्षेत्र के रचनाकारों की साहित्यिक रचनाएं लगातार बड़ी-बड़ी पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ने को मिल रही है। पुरुषोत्तम अनासक्त, संत कवि पवन दीवान, कृष्णा रंजन जैसे अनेक कलमकारों ने राजिम के माटी की खुशबू पूरी दुनिया में बिखेरा है। वर्तमान में भी नए लिखने वाले रचनाकार लगातार मिसाल पेश कर रहे हैं। प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने कहा कि समय के साथ साथ रचना लिखने की सामग्री में परिवर्तन हुआ है पहले कागज कलम का उपयोग ज्यादातर होता था। आज का कंप्यूटर एवं मोबाइल का है जहां हो वहां पंक्तियां जैसे ही निकल कर बाहर आती है मोबाइल में लिपिबद्ध हो जाता है। पिछले 300 सालों से लगातार अंचल में साहित्य रचनाएं उत्कृष्ट उदाहरण है। थानुराम निषाद अकेला ने कहा कि सम्मान मिलने से कलम कारों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है मुझे यह सम्मान मिलना मेरे लिए फक्र का विषय है परंतु अब मेरी साहित्यिक उम्र और बढ़ गई है तथा कलम की धार पैनी करने का आशीर्वाद मुझे मिला है। कोपरा के कवि फनेंद्र मोदी, लोहरसी के गीतकार कमलेश कौशिक कठलहा ने शानदार गीत पढ़कर माहौल बना दिया। युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने गजल की पंक्ति देकर माहौल में चार चांद लगा दी। कार्यक्रम का संचालन कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने किया। आभार प्रकट नूतन साहू ने किया। कु. बरखा निषाद का कार्यक्रम में विशेष योगदान रहा।