कवियों ने कहा- राज्योत्सव पर हो जिले में साहित्यिक आयोजन

Spread the love

”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। जिले के कवियों ने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा है कि राज्योत्सव के अवसर पर साहित्यिक आयोजन के रूप में कवि सम्मेलन या फिर साहित्यिक संगोष्ठी होना चाहिए। प्रदेश सरकार के द्वारा मात्र कलाकारों को मौका देकर लोक नृत्य का कार्यक्रम आयोजन करते हैं लेकिन कवियों को भूल जाते हैं जिसके कारण जिले के कवि मंच नहीं मिलने से निखर कर सामने नहीं आ पा रहे हैं। जिले के कवि एवं लेखक लगातार लेखन कार्य से जुड़े हुए हैं जिनकी रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पा रही है। वहीं कवि सम्मेलन मंच में भी गुदगुदा रहे हैं लेकिन बड़े मंच नहीं मिलने के कारण इनकी कला उभरकर सामने नहीं आ पा रही है। जिले में कभी कभार कवि सम्मेलन होते भी हैं तो उसमें बाहर के कवियों को मौका दिया जाता है जिसके कारण जिले के कवि छूट जाते हैं और कविता पाठ जैसे अवसर उनको नहीं मिल पाता। जिले की इतिहास लेखन में इन कवि एवं लेखकों का महत्वपूर्ण स्थान है। जिले के पर्यटन स्थल के साथ ही यहां के संस्कृति एवं संस्कार को पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से लगातार उकेरने का काम कर रहे हैं। कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने बताया कि गरियाबंद जिला साहित्य के क्षेत्र में अत्यंत समृद्ध है। यहां पंडित सुंदरलाल शर्मा, पुरुषोत्तम अनासक्त, संत कवि पवन दीवान, कृष्णा रंजन, उधोराम झखमार जैसे पुरोधाओं की रचनाएं पूरे विश्व को दिशा प्रदान कर रही है। वर्तमान में भी लिखने वालों की संख्या कम नहीं हुई है बल्कि और बढ़ी है। यहां जिला स्तर पर रत्नांचल जिला साहित्य परिषद में सैकड़ों कवि एवं साहित्यकार जुड़कर साहित्य साधना में लगे हुए हैं इनके अलावा जिले के लगभग सभी पांचों ब्लॉक में साहित्यिक समितियां गठित है जिनमें प्रमुख रूप से राजिम में प्रयाग साहित्य समिति, पंडित रविशंकर शुक्ला सद्भाव साहित्य समिति, त्रिवेणी संगम साहित्य समिति, बेलर में स्मरण साहित्य समिति, कोपरा में पंचकोशी साहित्य समिति, पांडुका में मंथन साहित्य समिति छुरा, गरियाबंद, मैनपुर, देवभोग इन सभी जगहों पर अलग-अलग साहित्य समितियां गठित होकर लगातार साहित्यिक गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं बावजूद इसके जिले के साहित्यकारों के लिए साहित्य का आयोजन नहीं होना चिंता का विषय बना हुआ है। रत्नांचल जिला साहित्य परिषद के अध्यक्ष शायर जितेन्द्र सुकुमार साहिर ने
बताया साहित्य समाज का दर्पण है साहित्यकार अपनी कलम से समाज को जागरूक करने एवं सकारात्मक दिशा देने में सदैव अपनी अपनी अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं। साहित्यिक कार्यक्रम को बौद्धिक कार्यक्रम में शुमार किया जाता है जिससे विचारों में क्रांति आती है राज्योत्सव में साहित्यिक कार्यक्रम के आयोजन पर बल देते हुए कहा लोगों को सारे गीत याद रहते है पर लेखक कवि का नाम याद नहीं रहता। आने वाली पीढी में सृजन क्षमता का विकास करना है तो उसके लिए साहित्यिक आयोजन होना ज़रूरी है। प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकम सेन ने कहा कि गरियाबंद जिला में बड़ी संख्या में कवि एवं साहित्यकार होने से यह साहित्य का केंद्र बिंदु है। राजिम महोत्सव में भी कभी कभार साहित्य का आयोजन होते हैं परंतु उसमें जिले के साहित्यकारों को कम और बाहर के लिखने वालों को ज्यादा तवज्जो मिलती है यह भी बड़े चिंता का कारण बन गया है साल भर में एक बार राज्योंत्सव मनाया जाता है उसमें भी साहित्यकारों को भूलना अच्छी बात नहीं है। मंथन साहित्य समिति के अध्यक्ष पुरुषोत्तम चक्रधारी ने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा है कि इस बार के राज्योत्सव में एक बड़ा सा साहित्य का आयोजन होना चाहिए जिसमें जिले के ही साहित्यकारों को मौका मिले उन्हें मंच मिले ताकि उनकी प्रतिभा निखर कर सामने आए। साहित्यकार तुकाराम कंसारी ने बताया कि राज्य उत्सव के मौके पर जिले में जहां-जहां साहित्य समितियां गठित है वहां वहां साहित्यिक कार्यक्रम के रूप में कवि सम्मेलन तथा साहित्यिक संगोष्ठी होनी चाहिए इससे समाज में एक अच्छा संदेश जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published.