प्रभात भजन मातृभूमि के प्रति प्रेम को दर्शाता है: चतुर्वेदी

राजिम । भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में प्रयाग साहित्य समिति के तत्वाधान में आयोजित साहित्यकार डॉ. मुन्नालाल देवदास द्वारा रचित राष्ट्रीय आंदोलन और प्रभात भजन पुस्तक पर परिचर्चा कार्यक्रम आयोजन स्थानीय गायत्री मंदिर सभाहाल में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व्यासनारायण चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सन् 1942 में कोपरा के हनुमान मंदिर में प्रभात भजन की परंपरा शुरुआत हुई थी और आज भी यह जारी है यह धार्मिकता के साथ-साथ देश प्रेम की भावना को जागृत करने का काम कर रही है। अलग-अलग खंडों में लिखी गई इस पुस्तक में गांव के शिवलाल सिन्हा को लेखक ने जिस तरह से लाल बाल पाल ने देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया उसी तरह से शिवलाल के कार्यों को रेखांकित किया है और प्रभात भजन के माध्यम से देशभक्ति की बिगुल फूंकने वाले शिवलाल सिन्हा के अलावा रामा यादव,लूदू राम, तिलकराम, हगरु बैदराज, रेवाराम देवदास, रामलाल सोनी, रामू ठाकुर, जीवराखन सेन, बेदन राम साहू को सेनानियों के क्रम में लाकर खड़ा किया है। यह मातृभूमि के प्रति प्रेम को दर्शाता है। प्रमुख वक्ता के रूप में पहुंचे युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने पुस्तक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह किताब निकट भविष्य में मील का पत्थर साबित होगी। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पूरे 75 सालों से लगातार माटी की खुशबू को बिखेरने के कार्यों को स्थान देना अपने आप में अनोखा उदाहरण है। लेखन की भाषा अत्यंत सरल है। इसे आम पाठक भी सरलता से समझ सकते हैं भाषा की कठिनता दरकिनार है यह लेखक की सूझबूझ का परिचायक है।
जिला रत्नांचल साहित्य परिषद के अध्यक्ष छंदकार वीरेंद्र साहू ने कहा कि माटी की खुशबू फैलाने की जिम्मेदारी ना सिर्फ रचनाकार बल्कि हर एक नागरिकों की है लेखक देवदास ने 1942 से लेकर 2017 तक 75 वां हीरक जयंती वर्ष घोषित किया है इनके अलावा राजिम जन्मे जनकवि एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा के कार्य से लेकर आस-पास के गांव में चल रहे जागरूकता कार्यक्रम को स्थान देकर अनछुए पहलुओं को छूने का प्रयास किया है। यह धरा न सिर्फ धर्म धरा है बल्कि स्वतंत्रता के अलग जगाने में इनकी भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता। अध्यक्षता कर रहे प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकम सेन ने कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद हमें पता चला गरियाबंद जिला सुराजी की गाथा से भरा है भारत मां के सपूतों द्वारा गुलामी की परंपरा को तोड़ने की नींव डाली है उससे स्पष्ट होता है कि आंदोलन की शुरुआत गांव से हुई है जो राष्ट्रीय स्तर पर बिगुल फूंकने का काम किया है। कवि नूतन साहू ने विशिष्ट अतिथि की आसंदी से कहा कि जीवन में आराम नाम की कोई चीज नहीं होनी चाहिए सिर्फ कर्म होनी चाहिए। प्रभात भजन के माध्यम से मुन्नालाल देवदास ने जीवन जीने का ढंग बदल दिया है। आने वाली नई पीढ़ी अंचल की इतिहास से इस पुस्तक को पढ़कर रूबरू होंगे। उक्त अवसर पर उपस्थित गायत्री मंदिर ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी चंद्रलेखा गुप्ता ने कहा कि प्रभात भजन के माध्यम से इस माटी के इतिहास को जानने का अवसर मिला यह मेरे जीवन की महत्वपूर्ण पल है ऐसे आयोजन समय-समय पर होते ही रहना चाहिए ताकि लोगों में अच्छे विचार मिले। प्रभात भजन के लेखक मुन्नालाल देवदास में बताया कि यह पुस्तक 144 पृष्ठों में लिखी गई है। पूरी तरह से देश के लिए किए गए हर कार्य को उल्लेखित करने का प्रयास हुआ है। प्रभात भजन से प्रभावित होकर आसपास के 10 गांव के लोग जिनमें मूड़तराई, जेंजरा,कपसीडीह, लोहरसी, कुरूद,सिर्रीखुर्द, तर्रा आदि गांव में निरंतर प्रभात भजन जारी हो गए हैं। इस मौके पर व्यंग्यकार संतोष सेन, हास्य कवि रामेश्वर रंगीला ने कविता सुनाकर माहौल में जान फूंक दी। कार्यक्रम की शुभारंभ मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर किया गया। संचालन युवा कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने किया आभार प्रकट कवियत्री सरोज कंसारी ने की। प्रमुख रूप से कल्याणी कंसारी,सीता साहू, दीपा साहू, संतोष साहू आदि की गरिमामय उपस्थिति रही।