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हिंदी दिवस पर प्रयाग साहित्य समिति ने किया साहित्यिक संगोष्ठी

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राजिम। शहर के गायत्री मंदिर सभागृह में प्रयाग साहित्य समिति द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार रखें। सर्वप्रथम ज्ञानदात्री मां सरस्वती की पूजा अर्चना किया गया तत्पश्चात अपने विचार व्यक्त करते हुए युवा कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कहा कि हिंदी हिंदुस्तान की बिंदी है। इस भाषा में जो मिठास है वह किसी भी भाषा में देखने को नहीं मिलता। दुनिया भर में 80 करोड़ से भी ज्यादा लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। आजादी के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को देश की राजभाषा फैसला लिया था। तब से इस दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी भाषा से ईर्ष्या करने के बजाए उन्हें सम्मान देना जरूरी है। देशकाल वातावरण एवं परिस्थिति के अनुसार पूरे विश्व में अनेक भाषाएं बोली जाती है लेकिन उनमें से हिंदी का जो स्थान है वह सर्वविदित है। हमें अपनी भाषा के प्रति लगन एवं सम्मान की नजरिये को बना कर रखना है। बच्चों को ए फॉर एप्पल तथा बी फॉर बॉल सिखाने के बजाय अ से अनार और स से सरोता सिखायें। आजकल नए जनरेशन के बच्चे हिंदी के अंकों को तेजी से भूल रहे हैं। उन्हें हिंदी का अंक लिखकर दे दिया जाए तो वह हड़बड़ा जाते हैं। स्कूलों में हिंदी के अंको पर ज्यादा फोकस होना चाहिए इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद दिवाकर ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदी न सिर्फ भारत में बोली जाती है बल्कि इनके अलावा विदेशों में भी बड़ी संख्या में बोलचाल की भाषा बनती जा रही है। अधिकतर देखा गया है पालक अपने बच्चे को महंगे स्कूलों में अच्छी शिक्षा देने के लिए भर्ती करते हैं उनके साथ साथ वह भी हिंदी बोलते रहते हैं जो हिंदी की लोकप्रियता को सिद्ध करती है। हिंदी हमारी अधिकारिक भाषा है। हमारी संस्कृति हिंदी से गौरव प्राप्त करती है एक देश एक भाषा के नाम पर हिंदी को पूरी दुनिया में जाना जाता है। हिंदुस्तान के साथ हिंदी शब्द सबको अच्छा लगता है। शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने कहा कि हमारा देश विशाल भूभाग में स्थापित है जो कि दक्षिण भारत में हिंदी का उपयोग बहुत कम किया जाता है यह सोचने की बात बनती जा रही है। मेरे एक मित्र किसी जरूरी काम से चेन्नई गए। उन्होंने एक होटल में जाकर हिंदी में बोलकर चाय मांगा तो उनकी बात को कोई समझ नहीं पाए। उन्होंने यह शब्द तीन बार दोहराया लेकिन उनको एक हाप चाय नहीं मिल पाई तब अपने परिचित जिनके साथ में वहां गए थे उनको बताया उन्होंने उसे अंग्रेजी के दो शब्द बता दिए और वहां जाकर उस वाक्य प्लीज वन कप टी बोला तो संचालक ने उसे शीघ्र एक कप चाय दिलवा दी। हिंदुस्तान है उसके बावजूद उन्हें भाषा के नाम पर दिक्कत हुई। ऐसा उदाहरण निश्चित ही प्रभावित करती है एक देश एक भाषा के आधार पर हम आगे बढ़े तो निश्चत ही हिंदी बोलने वालों की संख्या में और बढ़ोतरी होगी। कवि गोकुल सेन ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जिस तरह से छत्तीसगढ़ी बोलने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है ठीक उसी तरह से हिंदी की पकड़ मजबूत हुई है। अधिकतर देखा गया है कि गांव में हिंदी बोलने वाले व्याकरण संबंधी गलतियां ज्यादा करते हैं। वह टूटी फूटी भाषा में ही सही हिंदी तो बोलते है। व्यंग्यकार संतोष सेन ने कहा कि शुद्ध हिंदी बोलने वालों की संख्या कम हुई है मिश्रित भाषा तेजी से अपना स्थान बना रही हैं। खैर जो भी हो हिंदी की लोकप्रियता देश में बढ़ी है। कार्यक्रम का संचालन लिलेश्वर सेन ने किया।

“संतोष कुमार सोनकर की रिपोर्ट”

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