राजिम जिला के लिए मेरे सभी 26 ग्राम पंचायत से जाएगा प्रस्ताव: मधुबाला रात्रे
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। जिला पंचायत सदस्य एवं सभापति मधुबाला रात्रे गुरुवार को शाम 4:00 बजे दी पोपटलाल डॉट इन न्यूज़ से चर्चा करते हुए राजिम जिला की मांग पर आवाज बुलंद करते हुए स्पष्ट किया कि मेरे जिला पंचायत क्षेत्र में कुल 26 ग्राम पंचायत आते हैं। सभी ग्राम पंचायत से राजिम जिला की मांग के लिए प्रस्ताव पारित किया जाएगा और शासन को भेजा जाएगा। जिस तरह से नगर पंचायत राजिम में प्रस्ताव पारित कर प्रदेश शासन को भेज दिया गया है उसी तरह से मेरे सभी ग्राम पंचायत से यह प्रस्ताव बकायदा पारित होगा। उन्होंने बताया कि राजिम जिला बनना चाहिए इसके लिए हम सबको आगे आने की जरूरत है। यह छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश का प्रमुख तीर्थ स्थल है और लगभग सभी प्रमुख तीर्थ स्थल जिला के रूप में अस्तित्व में आ चुके हैं तब राजिम क्यों नहीं। मेरे जिला पंचायत क्षेत्र में 44 गांव आते हैं और जनसंख्या लगभग लाखों में है। जिला बनने से क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा। यहां के बच्चे पढ़ाई के लिए दूसरे बड़े शहरों में पलायन करते हैं उन्हें अपने ही जिले में वह सारी सुविधाएं उपलब्ध होगी। इससे गरीब से गरीब लोग भी अपने बच्चे को पढ़ाएंगे। बेटियों को अवसर मिलेगी तथा प्रतिभाओं को प्लेटफार्म मिलेगा। जिले बनने से स्कूल कॉलेज तथा व्यवसायिक पाठ्यक्रम, महिला महाविद्यालय, हॉस्पिटल के अलावा अन्य विभागों के दफ्तर खुलने से बहुत सारी सुविधाएं हमारे द्वार पर उपलब्ध होगी, जिनका लाभ क्षेत्र के लोग उठायेंगे। उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि हमारी सरकार छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान देने में प्रयासरत है। चर्चा हो रही है कि छत्तीसगढ़ में 36 जिला होंगे। छत्तीसगढ़ राज्य बना तब मात्र 16 जिले थे लेकिन अब 17 नए जिले बनने के बाद कुल 33 जिला हो गए हैं। 3 जिला और बनना है। इसमें राजिम जिला का नाम जरूर हो। मांग की आवाज को बुलंद करने के लिए हम हमेशा आगे रहेंगे। कभी पीछे नहीं हटेंगे। राजिम जिला बनना ही है और इसे बनाकर ही दम लेंगे। गत दिनों राजिम के रेस्ट हाउस में बैठक हुई जिसमें लगभग सभी राजनीतिक दल तथा विभिन्न संगठन, समाज प्रमुख, समाजसेवी आदि लोग उपस्थित होकर जिले की मांग को जोर-शोर से उठाया है। संगठन में ताकत होती है। मेरा प्रयास जिला के लिए कहीं पर कोई कम नहीं होगा। हर लड़ाई लड़ने के लिए मैं तैयार हूं।
जिला के क्षेत्र निर्धारण पर बताया कि फिंगेश्वर ब्लॉक, अभनपुर ब्लॉक, छुरा एवं मगरलोड ब्लाक को लेकर राजिम जिला का रूप दिया जा सकता है चूंकि राजिम छत्तीसगढ़ का प्रयाग भूमि है यह त्रिवेणी संगम है तीन नदी पर तीन जिला और तीन ब्लॉक की सीमा टच करती है। मगरलोड, अभनपुर, छुरा एवं फिंगेश्वर ब्लॉक इन सभी को मिलाकर जिला बनाना बहुत ही जरूरी है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध राजिम में माघी पुन्नी मेला होते हैं उसमें तीनों विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजिम विधानसभा से पूर्व मंत्री एवं विधायक अमितेश शुक्ल,अभनपुर विधानसभा से पूर्व मंत्री एवं विधायक धनेंद्र साहू, कुरूद विधायक अजय चंद्राकर खूब मेहनत करते हैं। क्षेत्र के प्रति इन नेताओं की जवाबदारी इनके मेहनत से झलकती है। राजिम में पंचकोशी शिव पीठ है इन पांचों पीठ को राजिम जिला में सम्मिलित किया जाए। पटेश्वरनाथ महादेव एवं चंपकेश्वर नाथ महादेव अभनपुर विकासखंड रायपुर जिला में आता है। बम्हनी स्थित ब्रह्मकेश्वरनाथ महादेव महासमुंद जिला, फणीकेश्वरनाथ महादेव एवं कर्पूरेश्वरनाथ महादेव फिंगेश्वर विकासखंड में आता है। इन सभी पंच शिवपीठ को राजिम जिला में ही सम्मिलित करें ताकि इनका विकास तेजी के साथ हो। राजिम धर्म धरा है तो पांडुका में लोथल संस्कृति के बंदरगाह मिले हैं। चंपारण महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मभूमि है। इनके अलावा अनेक दैवीय स्थल इत्यादि जिले में होंगे जिससे यहां पर्यटन को खूब बढ़ावा मिलेगा। मधुबाला रात्रे ने बताया कि यहां के महापुरुष पंडित सुंदरलाल शर्मा, संत कवि पवन दीवान एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को जिस तरह से सम्मान मिलना चाहिए वह देखने को नहीं मिल रही है उनकी अभी तक प्रतिमा नहीं बन पाई है। अकेले कौंदकेरा में सात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है जिनमें प्राणदास सतनामी, मिलऊदास सतनामी, केशोराम सतनामी, गोपी सतनामी, तुलसी सतनामी, ब्रिसवा सतनामी है इनके अलावा अनेक क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और महापुरुष भी है आने वाले पीढ़ी इन्हें पहचाने जाने इसके लिए इनकी प्रतिमा लगाकर सम्मान देना बहुत जरूरी है।