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राजिम जिले के लिए बैठकों का दौर जारी, संघर्ष समिति की भी हो रही तैयारी

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राजिम। अंचलवासी जिले की मांग को लेकर विगत 25 वर्षों से अपने सीने में चिंगारी दबाए हुए बैठे हुए थे। हर पार्टी नेताओं के समक्ष जिला का मुद्दा रखते थे मगर सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है। सन् 2002-03 में सांसद संत कवि पवन दीवान भी जिले का मुद्दा जोर-शोर से उठाते चले आ रहे थे मगर उनकी मांग केवल मांग ही बनकर रह गई। वर्तमान में राजिम एवं अभनपुर क्षेत्र के नवापारा में कांग्रेस के विधायक है। क्षेत्र की जनता ने दोनों ही विधायकों को भारी मतों से जीताया है। प्रदेश में सत्ता भी कांग्रेस की है ऐसे में यदि दोनों विधायक इस ओर ध्यान दें तो राजिम नवापारा जिला बनते देर नहीं लगेगी। इधर जिले के लिए संघर्ष समिति बनाने की तैयारियां तेज हो गई है कहा जा रहा है कि आज कल में राजिम नवापारा की बैठक होगी। संयुक्त सर्वदलीय बैठक जहां जिला संघर्ष समिति का गठन हो सकता है।

मिसाल बन जाएगा यह नया जिला : प्रदेश ही नहीं देश में यह जिला मिसाल बन जाएगा। यह क्षेत्र त्रिवेणी संगम 3 विधानसभा क्षेत्र, 3 अनुविभाग, तीन तहसील, तीन लोक के स्वामी भगवान राजीवलोचन, त्रिमूर्ति दत्तात्रेय और त्रिनेत्र के स्वामी भगवान कुलेश्वर नाथ महादेव से जुड़ा हुआ है। राजिम में सर्वदलीय बैठक में लोगों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि अब तक छत्तीसगढ़ में कुल 32 जिला का निर्माण हो चुका है आने वाला समय में यह निश्चित है छत्तीसगढ़ में 36 जिला होंगे इसके लिए अभी सरकार को 4 नए जिलों का पुनर्गठन करना होगा। पुनर्गठन की प्रक्रिया में राजिम भी एक जिला हो सकता है। राजिम छत्तीसगढ़ का प्रयाग राज कहा जाता है। अविभाजित मध्य प्रदेश को तीन बार मुख्यमंत्री देने वाला राजीव नगरी को जिला बनाए जाने की मांग 25 वर्ष पुरानी है। अब समय की मांग है राजिम नवापारा मगरलोड को मिलाकर नए जिला का पुनर्गठन हो।

बगैर किसी बुलावे के जुट गए लोग और हो गई बैठक : जिले की मांग को लेकर जिस तरह अंचल वासियों के मध्य सुगबुगाहट चल रही है चौक चौराहे पर चर्चा हो रही है। बुधवार 25 अगस्त को संध्या 6:00 बजे राजिम रेस्ट हाउस में सर्वदलीय बैठक हुई जिसमें लगभग 7 दर्जन लोग एकत्रित हुए। जबकी बैठक की न तो कोई सूचना निकाली गई थी और न ही मुनादी कराई गई थी स्वत: ही नगर के वरिष्ठ लोग राजिम विश्राम गृह में एकत्रित होने लगे और देखते ही देखते भीड़ ने बैठक का रूप धारण कर लिया। इस बैठक की खासियत यह रही कि इसमें किसी पार्टी विशेष की कोई चर्चा नहीं हुई। एक प्रकार से देखा जाए तो बैठक राजनीतिक दलों से हटकर सर्वदलीय बैठक हुई।

”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

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