पीतईबंद महानदी में तीसरे दिन मिला दूसरा शव
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । पीतईबंद महानदी के पास लकड़ी पकड़ने के चक्कर में उफनती नदी पर 7 लोग गुरुवार को कूद गए थे जिनमें से चार व्यक्ति पहले से बाहर आ गए। एक आदमी एनीकट के चौड़ी पर रुके रहे तथा दो व्यक्ति बह गए इनमें से एक व्यक्ति को जिला प्रशासन के बचाव दल ने मोटर बोट के सहारे सुरक्षित बाहर निकाल लिया तथा पानी में बहे पहले व्यक्ति को दूसरे दिन अर्थात शुक्रवार की सुबह पानी से निकाला। शुक्रवार को शाम तक बचाव दल ढूंढते रहे पर उन्हें दूसरी लाश नहीं मिली, तब दल के सभी सदस्य शनिवार को सुबह 7:00 बजे खोजेंगे कहकर चले गए। शनिवार को सुबह 6:00 बजे मृतक के बड़े भाई नदी की ओर गया तब उन्हें एनीकट से 400 मीटर की दूरी पर उनके छोटे भाई देवनाथ सोनवानी की लाश नदी में तैरते हुए दिखे। उन्होंने तुरंत खबर किया और इस तरह से दूसरा लाश भी मिल गया। लाश को पोस्टमार्टम के लिए राजिम स्थित चीरघर भेज दिया गया।
पिछले साल चौबेबांधा पुल के पास पकड़े थे यही सागोन लकड़ी
ग्रामीणों ने बताया कि यह वही सागौन लकड़ी है जिन्हें पिछले साल के बाढ़ में चौबेबांधा पुल पर ग्रामीण किनारे लगाए थे लेकिन ऐन वक्त पर फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी आकर उन्हें अपने कब्जे में लेते हुए ग्रामीणों को देने से मना कर दिया, तब से लकड़ी नवागांव एनीकेट में ही पड़ा रहा। उस समय इन अधिकारियों ने तुरंत ले जाने की बात कही थी लेकिन साल भर तक वहीं पड़ा सड़ रहा था उन्हें नहीं जाया गया और इस बार की बाढ़ में बहते हुए यह सागौन लकड़ी पीतईबंद के पास आ गया जिसे देख कर यहां के युवकों ने उन्हें पकड़ने के लिए नदी में छलांग लगा दी। नतीजा दो व्यक्ति को अपनी जान देनी पड़े। लोगों का कहना है कि यदि फॉरेस्ट विभाग के अधिकारी उसी समय लकड़ी को ले जाते तो घटना नहीं घटती।