100/50 मीटर के दो स्नान कुंड की गहराई मात्र 3 फीट,नवागांव एनीकट का पानी हो रहा कम,माघी पुन्नी मेला के लिए संगम की रेत पर तेजी से चल रहा काम

राजिम । माघी पुन्नी मेला को अब मात्र 3 से 4 दिन ही शेष रह गए हैं। ऐसे में संगम नदी में कार्य को मूर्त रूप देने के लिए तमाम जिम्मेदार विभाग के अधिकारी डटे हुए हैं तथा एक एक पॉइंट पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। संगम तीन जिला रायपुर, धमतरी एवं गरियाबंद की सीमा से लगा हुआ है और मेला के समय तीनों जिला के अलग-अलग विभागीय स्टॉल भी लगे होते हैं। सड़के भी बनाई जाती है पानी की व्यवस्था की जाती है ऐसे में मेले के लिए अलग से नोडल अधिकारी की नियुक्ति हुई है। आज भी कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के सामने राजस्थानी ट्रैक्टर से रेत को लेवलिंग किया जा रहा था। सड़कों के बीच में पत्थर बिछाने का काम द्रुतगति से चल रहा है। दोपहर 1:00 बजे हमारे संवाददाता ने त्रिवेणी संगम स्थित कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर से तकरीबन 200 गज की दूरी पर बन रहे स्नान कुंड की प्रगति देखने पहुंचे तो जेसीबी मशीन से रेत को व्यवस्थित करने का काम चल रहा था। मजदूर बोरियों में रेत भरकर घाट बना रहे थे। मौके पर जल संसाधन विभाग गरियाबंद के मुख्य कार्यपालन अभियंता आशुतोष सारस्वत अपने कनिष्ठ अधिकारियों के साथ उपस्थित थे। संवाददाता ने जब उनसे जानकारी चाही तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि हर साल दो ही स्नान कुंड बनते हैं। जो लगातार समाचार पत्रों में छप भी रहे हैं। इस तरह से मीडिया कर्मी के साथ रूखा शब्दों में बात करना अच्छा नहीं लगा और उन्हें आगे के सवाल करना ही छोड़ दिए। तब उनके साथ में उपस्थित कनिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इनकी लंबाई चौड़ाई 100/50 मीटर है। गहराई 3 फीट है। वैसे बता दें कि संगम नदी में पानी का धार और से लेकर छोर तक रहता हैं। जिसमें कुंड के बजाय नदी के धार में स्नान करना ज्यादा पसंद करते हैं। अक्सर स्नान कुंड में सुरक्षा व्यवस्था के द्वारा आम श्रद्धालुओं के स्नान पर टोका टाकी होते रहते है इस कारण इधर-उधर स्नान कर पुण्य स्नान का लाभ कमाते हैं। संगम में अलग-अलग घाट है जिनमें प्रमुख रूप से सोनतीर्थ घाट, संगम घाट, अटल घाट, महानदी आरती घाट, नेहरू घाट, बेलाही घाट है। इस वर्ष तीन प्रमुख स्नान होंगे जिनमें प्रथम स्नान 16 फरवरी माघ पूर्णिमा दिन बुधवार को होगा। इस दिन भगवान राजीवलोचन की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है तथा लोग सीधे संगम में स्नान कर भगवान राजीवलोचन के दर्शन एवं पूजा अर्चना करते हैं दूसरा स्नान 27 फरवरी रविवार को विजया एकादशी के अवसर पर होगा इसमें भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में स्नान के लिए जुटते हैं तथा तीसरा स्नान 1 मार्च महाशिवरात्रि दिन मंगलवार को होगा। यह राजिम मेला का अंतिम एवं बृहद स्नान होता है इसमें देशभर के साधु संत के अलावा श्रद्धालुगण बड़ी संख्या में उपस्थित होकर पुण्य स्नान का लाभ लेते हैं इन तीनों स्नान तिथि में दीपदान भी किया जाता है। इसे मेला के के अलावा पर्व के रूप में श्रद्धालुगण देखते हैं और नियत समय में बिना बुलाए ही स्वता स्नान के लिए उपस्थित हो जाते हैं। उल्लेखनीय है कि स्नान के लिए संगम के ऊपर नवागांव एनीकट से पानी वर्तमान में छोड़ा जा रहा है जिससे एनीकट का पानी धीरे-धीरे करके कम होता जा रहा है यदि आगे डैम से पानी नहीं आया तो एनीकट खाली होने की संभावना बढ़ जाती है ऐसे में गर्मी के समय में क्षेत्र में विकराल जलसंकट भी आ सकती है। इसलिए नवागांव एनीकट में पानी भरा रहे और पानी की सप्लाई के लिए ऊपर से पानी छोड़ा जाए इसके लिए अधिकारियों को चिंता करने की आवश्यकता है।अक्सर देखा गया है स्नान के समय भीड़भाड़ के कारण पॉकेट मार अपनी जेब गर्म करने के लिए इधर-उधर घूमते रहते हैं। कई लोग इनके शिकार भी होते हैं। परंतु इस बार पुन्नी मेला में सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों के लिए गुरुवार को थाना प्रभारियों की बैठक पुलिस अधीक्षक जे आर ठाकुर ने ली। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आमजन की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है सुरक्षा की दृष्टि से मेले के चारों तरफ सीसीटीवी कैमरा लगाए जाएंगे तथा चप्पे-चप्पे पर पुलिस की पैनी नजर रहेगी इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा तथा चोरी की घटनाओं की रोकथाम के लिए सादे कपड़ों में पुलिस टीम तैनात की जाएगी।मेले में इस बार कौन-कौन से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे यह अभी तक लोगों की जानकारी में नहीं आया है वैसे कलाकार असमंजस की स्थिति में है क्योंकि पिछले 2 वर्षों से सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए दो मंच बन रहे थे इस बार भी दो ही मंच बनाने की बात उभर कर आई है लेकिन भजन संध्या, जगराता, लोक कला मंच, नाचा, रामायण, पंडवानी, रामधुनी, पंथी नृत्य, रावत नाचा, साहित्यिक कार्यक्रम या फिर और अन्य विधा के कौन से कार्यक्रम होंगे। लोग एक दूसरे से पूछ रहे हैं। विभाग ने स्पष्ट अभी तक नहीं किया है कि किस कार्यक्रम कौन से मंच पर होंगे तथा कलाकारों को इसके लिए कहां पर आवेदन करना है।