गंगरेल में वाटर स्पोर्ट्स ने गर्मी में भी लायी बहार

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धमतरी। गंगरेल बांध अपने सुंदर नजारों के लिए शुरू से ही प्रसिद्ध रहा है, पर यहां पर्यटकों की खास भीड़ बारिश के दिनों में बांध के लबालब होने पर ही उमड़ती थी। गर्मी के दिनों में बांध में पानी कम होने के साथ ही सैलानियों की संख्या भी कम हो जाती थी। अब वाटर स्पोर्ट्स मजा लेने गर्मी में भी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे जिससे गंगरेल में बहार है, वाटर स्पोर्ट्स शुरू होने तथा समुन्द्र के किनारे जैसा नजारे होने से गंगरेल मिनी गोवा के नाम से भी मशहूर हो गया है। गंगरेल बांध में वॉटर स्पोर्ट्स के अंतर्गत पैरासीलिंग, प्लायबोर्ड, ऑकटेन, जार्बिन बॉल, पीडब्ल्यूसी बाइक, बनाना राईड, सौ सीटर शिप, वॉटर सायकल, कयाक, पायडल बोट्स आदि का लुत्फ सैलानी उठा रहे हैं। पर्यटन की दृष्टि से गंगरेल बांध क्षेत्र तेजी से उभरने लगा है। यहां वाटर स्पोटर्स के अलावा एडवेंचर भी है। श्रद्धालुओं के लिए मां अंगारमोती मंदिर भी है। यहां चारों तरफ फैली हरियाली पर्यटकों को काफी रोमांचित कर रही है। छत्तीसगढ़ के अलावा अब अन्य प्रदेशों से भी बड़ी तादाद में सैलानी यहां के नजारों का लुत्फ उठाने के लिए पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि यहां आने पर जन्नत की तरह खूबसूरत नजारों का दीदार होता है। आंखों को सुकून और दिल को करार मिल जाता है।
44 साल पहले बना गंगरेल, 52 गांव डूबे
जिला मुख्यालय से 11 किमी की दूरी पर गंगरेल बांध हैं, जो महानदी पर बना हुआ है। इसका निर्माण 1978 में हुआ है। लबालब पानी भरने पर 14 गेट के माध्यम से महानदी में पानी छोड़ा जाता है। बांध के पूर्व दिशा में बड़े-बड़े पहाड़ है, जो हरियाली से अच्छादित है। 44 साल पहले जब गंगरेल बांध बना तो 52 गांव डूब में आये, गांव के लोगो को अपना घर जमीन छोड़कर दूसरे जगह शरण लेनी पड़ी।
पर्यटन के नक्शे में छा रहा गंगरेल
पहले यहां पर्यटन की दृष्टि से कुछ भी नहीं था। सैलानी सिर्फ बांध को देखकर लौट जाते थे, लेकिन कुछ सालों में यहां काफी बदलाव आया है। अब तो बांधों के एक किनारे से दूसरे किनारे तक ट्यूबलर लाइट लग गई है। इसके अलावा सुंदर गार्डन का निर्माण भी किया गया है। यहां ठहरने के लिए मोटल भी बनाया गया है। इसलिए बांध और उसके चारों तरफ की प्राकृतिक नजरों को आंखों में कैद करने के लिए देश के अलावा विदेेशों से भी सैलानी भी बड़ी संख्या में हर साल आते हैं। 32 टीएमसी की क्षमता वाले बांध के ऊपर से जब पानी छलकने लगता है, तो सैलानी रोमांचित हो जाते हैं।
जर्मन लकड़ी से बनाया गया कॉटेज
गंगरेल बांध के किनारे मनमोहक नजारों के बीच लाखों रुपए खर्च कर वुडन हर्ट बनाया गया है। जर्मन लकड़ी से 12 कॉटेज और रेस्टोरेंट बनाया गया है, जिसका लाभ भी सैलानी उठा रहे हैं। स्वदेश दर्शन योजना के तहत् ट्रायबल टूरिज्म सर्किट में प्रदेश के जशपुर-कुनकुरी-मैनपाट-कमलेश्वरपुर-महेशपुर-कुरदर-सरोधादादर-गंगरेल-कोंडागांव-नथियानवागांव-जगदपुर-चित्रकोट-तीरथगढ़ सहित 13 प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ा जाएगा। परियोजना के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा 99 करोड़ रुपए मंजूर किया हैं। इन पर्यटन केन्द्रों में एथनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन डेवलपमेंट के अंतर्गत लॉग हट्स, कैफेटेरिया, गार्डन, पगोड़ा, पार्किंग एवं वॉटर स्पोर्ट्स विकसित किया जाएगा।

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