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नवा छत्तीसगढ़ के 36 माह: केराझरिया गौठान की 84 महिलाओं ने आर्थिक गतिविधियों से अर्जित की साढ़े चार लाख रूपए से अधिक की आय

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“बी एन यादव की रिपोर्ट”

कोरबा। जिस तरह चित्रकला में विश्व विख्यात चित्रकार पाब्लो पिकासो ने अपनी चित्रकारी का उदाहरण दुनिया में पेश किया है, उसी प्रकार कोरबा जिले के केराझरिया गौठान में काम करने वाली महिलाएं गौठान से आय प्राप्त करने में उदाहरण पेश कर रही हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागू नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी योजनांतर्गत जनपद पंचायत पाली के ग्राम केराझरिया में गौठान विकसित किया गया है। केराझरिया गौठान को मल्टीएक्टिविटी सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। गौठान में विभिन्न गतिविधियों में संलग्न महिलाएं निश्चित आय प्राप्त कर रहीं हैं। केराझरिया गौठान में कार्यरत आठ स्वसहायता समूह की 84 महिलाएं चार लाख 64 हजार रूपए से अधिक की आय प्राप्त कर चुकी है। गौठानों में समूह की महिलाएं आजीविका मूलक विभिन्न गतिविधियां अगरबत्ती निर्माण, केंचुआ कल्चर, कोसा धागाकरण, गुलाल निर्माण, गोबर से बने उत्पाद, दोना-पत्तल, फिनायल, मछली पालन, मिनी राईस मिल, वर्मी खाद, साबुन निर्माण, सामुदायिक बाड़ी, कृषि यंत्र सेवा केन्द्र आदि में संलग्न है। गौठान में भूमि स्वसहायता समूह, दुर्गा समूह, एकता समूह, सृष्टि समूह, शिवशक्ति समूह, सत्यम समूह, नव ज्योति समूह, एकता समूह एवं राधाकृष्ण समूह सहित गौठान समिति के सदस्यगण भी विभिन्न प्रकार के काम करके अपनी आय को बढ़ा रहे हैं। गांव में ही गौठान के माध्यम से रोजगार मिल जाने से एक ओर स्थानीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के सामग्रियों का निर्माण हो रहा है, वही दूसरी ओर आजीविका गतिविधियों से महिलाएं आर्थिक रूप से उन्नति की ओर अग्रसर है।
केराझरिया गौठान में महिला स्वसहायता समूह के सदस्यों के द्वारा 156 क्ंिवटल वर्मी खाद का उत्पादन किया गया है। गौठान में उत्पादित वर्मी खाद की बिक्री भी हो चुकी है। वर्मी खाद बनाकर बेचने से गौठान समिति को 79 हजार रूपए से अधिक का आय प्राप्त हो चुका है। स्वसहायता समूह के सदस्यों को भी वर्मी खाद बिक्री से 61 हजार रूपए से अधिक का आय प्राप्त हुआ है। पिछले वर्ष समूह के सदस्यों को 74 क्ंिवटल वर्मी खाद की बिक्री से 74 हजार 870 रूपए का आय प्राप्त हुआ था। वर्मी खाद के अलावा गोबर से बने उत्पाद मूर्ति, गमला, दीया आदि से 27 हजार रूपए, केंचुआ उत्पादन से 15 हजार 600 रूपए, दोना-पत्तल से पांच हजार 500 रूपए की आय महिला समूहों को हो चुकी है। इसी प्रकार स्वसहायता समूहों के द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों के द्वारा कुल चार लाख 64 हजार रूपए की आय समूह के सदस्यों को हुई है। महिलाओं को होने वाले आय के केन्द्र के रूप में पहचाने जाने वाले केराझरिया गौठान समावेशी विकास का एक मॉडल के रूप में पहचान बनाने में सफल रहा है। केराझरिया गौठान में संचालित गतिविधियों को देखकर अन्य गांव के ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में केराझरिया गौठान की प्रशंसा भी करते हैं।

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