पोला 27 को होगी बैलों की पूजा, मिट्टी के बैल जोड़ी 50 तो चुकी पोरा ₹60 में बिक रहा
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। छत्तीसगढ़ में उत्साह के साथ मनाया जाने वाला प्रमुख पोला त्यौहार इस बार 27 अगस्त दिन शनिवार को है।पोला के मद्देनजर जोर शोर से तैयारियां हो रही है। मिट्टी के बैल बाजार में बिकने के लिए आ गए हैं शहर के कुम्हार पसरा में बड़ी संख्या में मिट्टी के घर बिक रहे हैं। तो कई जगहों पर घर पहुंच सुविधा भी दी जा रही है और जगह जगह इनकी दुकान लगी हुई है चौक चौराहे तथा गलियों में यह बेची जा रही है। विक्रेता ने बताया कि मिट्टी के बैल जोड़ी ₹50 तथा चुकी पोरा को अलग से खरीदना पड़ रहा है इनके लिए ₹60 मूल्य निर्धारित की गई है। इनमें मिट्टी से बनी हुई चूल्हा, कल्सुल, तवा, हडिया,कराही, जांता,ढक्कन इत्यादि है। इन सभी को मिलाकर ₹110 में पूरी मिट्टी के सामान खरीदे जा रहे हैं मोलभाव करने पर 10 से ₹20 कम कर भी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पोला पर्व में मिट्टी के बैलों की पूजा की जाती है अमावस्या के पूर्व रात्रि ग्रामीण देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है इसमें पूजन सामग्री के साथ ही मिट्टी के बैल रखकर पूजन किया जाता है। वहीं अमावस्या तिथि को गुड़ का चीला चढ़ाया जाता है। दूसरी ओर बैल को इस दिन किसान नहलाते हैं और कहीं कहीं पर बैल सजावट का भी आयोजन किया जाता है। बैल कृषि कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए इनके प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हुए प्रत्येक कृषक कुशोत्पाटिनी अमावस्या को उत्साह के साथ मनाते हैं। क्षेत्र के गांव में भी बड़ी संख्या में मिट्टी के बैल बिक रहे हैं। बैलों की पूजा अर्चना के साथ ही इनके पैरों में चाक लगाए जाते हैं। छोटे बच्चे उन्हें लेकर खूब दौड़ाते हैं तथा बालिकाएं चुकी पोरा खेल कर मनोरंजन करती है। इस तरह से यह त्यौहार लोगों में सामाजिक एकता के साथ ही श्रद्धा भावना को जन्म देती है।