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Chhattisgarh

अधिकारी-कर्मचारी सरकार के प्रमुख अंग, प्रदेश सरकार उनकी जायज मांगो को शीघ्र पूरा करें : चंद्रशेखर साहू

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता की मांग को लेकर 22 अगस्त से अनिश्चित कालीन प्रदेशव्यापी हड़ताल को राजिम विधानसभा के भाजपा नेता एवं गरियाबंद जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू ने जायज ठहराते हुए अपना समर्थन दिया है और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी ही शासन के मुख्य अंग हैं जो धरातल में शासन की योजनाओं को क्रियान्वित करने का कार्य करते हैं लेकिन प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण आज उन्हें सरकार के खिलाफ लामबंद होकर हड़ताल करने विवश हो रहे हैं। केंद्र में नरेंद्र मोदी जी की सरकार है जो केंद्रीय कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं करती और प्रत्येक छह महीने में कर्मचारियों को बिना मांगे महंगाई भत्ता बढ़ाती है तथा उन्होंने सातवें वेतनमान के अनुरूप मकान भत्ता भी दे रही है। केंद्रीय कर्मियों की तरह प्रदेश के कर्मचारी साथी भी उतना ही काम कर रहे हैं लेकिन प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार इन राज्य कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर रही है। नतीजन प्रदेश के 91 कर्मचारी संघ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले आंदोलन करने को मजबूर हो गए हैं इससे साफ प्रतीत होता है कि प्रदेश में एक निरंकुश सरकार का शासन चल रहा है। हर बार आंदोलन के लिए सरकार द्वारा कमेटी बनाने की बात आती है लेकिन वो कमेटी कब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है उसे सार्वजनिक नहीं करती और जब मंत्रियों विधायकों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की बात आती है तो बिना किसी चर्चा के अपने वेतन भत्ते बढ़ा लेते हैं। प्रदेश में सभी वर्गों को ठगने का कार्य भूपेश बघेल सरकार ने किया है और किसी भी वर्ग का वादा उन्होंने पूरा नहीं किया है। राज्य सरकार को केंद्र सरकार के निर्णय का अनुसरण करते हुए तथा कांग्रेस शासित राजस्थान की सरकार का भी अनुसरण करते हुए प्रदेश के कर्मचारियों को लंबित महंगाई भत्ता व मकान भत्ता देय तिथि से एरियर्स सहित देने का आदेश जारी करना चाहिए। भाजपा शासित मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश सरकार पहले ही इस मामले का निराकरण कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ता के लिए कर्मचारी सड़क पर आकर आवाज उठाने को विवश हो रहे हैं,यह स्थिति ठीक नहीं है। आने वाले विधानसभा चुनाव में यही कर्मचारी इस निरंकुश सरकार की विदाई तय करेंगे।

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