छत्तीसगढ़ी के अपनी व्याकरण तथा शब्दकोश भी: कवि संतोष सोनकर
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। राज्य बनने के 22 साल बाद भी संविधान के आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी भाषा दर्ज नहीं होने से भाषा को जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए ना सिर्फ कवि एवं साहित्यकार बल्कि हर तबके के लोगों को आगे आने की जरूरत है। उक्त बातें भेंट मुलाकात के दौरान शहर के कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कही। उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने की वकालत करते हुए कहा कि भाषा कभी संकट पैदा नहीं करती, यह लोगों को जोड़ने का काम करती है। छत्तीसगढ़ का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। पुराने समय से बड़ी संख्या में लोग छत्तीसगढ़ी का उपयोग बोलचाल की भाषा में करते आ रहे हैं इसमें अत्यंत मिठास है खुद देश के तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू छत्तीसगढ़ आए थे तो वह छत्तीसगढ़ी बोली को सुनकर बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने सदन में छत्तीसगढ़ी को मिठास वाली भाषा कहा था। उन्होंने चिंता करते हुए कहा कि सन् 2007 में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के गठन होने के बाद 15 साल बीत गए लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कारगर प्रयास नहीं दिख रहा है। जबकि इस भाषा में अपने व्याकरण, शब्दकोश आदि है। आदिकवि एवं छत्तीसगढ़ी गांधी पंडित सुंदरलाल शर्मा ने सन् 1905 में छत्तीसगढ़ी में काव्य “दाललीला” लिखा। उस समय छत्तीसगढ़ी को गांव में बोली जाने वाली ग्राम्य भाषा कहा जाता था। उन्होंने साहित्य की रचनाकर देशभर में छत्तीसगढ़ी भाषा को पुष्ट किया। उसके बाद तो लगातार छत्तीसगढ़ी पर साहित्य रचना होती रही।1 नवंबर 2000 को राज्य बनने के सात साल बाद प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 28 नवंबर 2007 को छत्तीसगढ़ राजभाषा विधेयक पारित किया था। विधेयक के पास होने के उपलक्ष्य में हर साल 28 नवंबर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस राजभाषा का प्रकाशन 11 जुलाई 2008 को राजपत्र में किया गया।आयोग का कार्य 14 अगस्त 2008 को चालू हुआ। आयोग का मुख्य उद्देश्य राजभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्जा दिलाना, छत्तीसगढ़ी भाषा को राजकाज की भाषा के रूप में उपयोग में लाना तथा पाठ्यक्रम में शामिल कराना था। श्री सोनकर ने आगे बताया कि भारतीय संविधान में कुल 22 भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल है इनमें असमिया, उड़िया, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोंगरी, तमिल, तेलुगु, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला, बोडो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत, सिंधी और हिंदी है। वर्तमान में 6 ऐसी भाषाएं हैं जिन्हें शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला हुआ है। जिनमें तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगू, मलयालम और ओडिया है। उन्होंने आगे बताया कि संविधान के आठवीं अनुसूची में दर्ज होने के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा क्रम में है। पहले की अपेक्षा अब ज्यादा संख्या में लोग छत्तीसगढ़ी भाषा बोल रहे हैं इनका प्रचार प्रसार की खूब हुआ है। सभी विधाओं में साहित्य रचना हो रहे हैं। मैं खुद पिछले 22 सालों से लगातार साहित्य रचना कर रहा हूं जो पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए हैं और अब तो छत्तीसगढ़ी लिखने वालों की संख्या भी बढ़ी हुई है आगे इसी तरह से प्रयास होते रहे तो निश्चित रूप से संविधान की आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी सम्मिलित होगा और भाषा का मान बढ़ेगा।