कॉमेडी किंग गजोधर के निधन पर हास्य कवियों ने दी श्रद्धांजलि
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । कॉमेडी किंग तथा हास्य की दुनिया में गजोधर के नाम से मशहूर राजू श्रीवास्तव के निधन पर अंचल के हास्य कवियों एवं कलाकारों ने उन्हें शब्दों से श्रद्धांजलि अर्पित की है। जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया के माध्यम से आया लोग स्तब्ध रह गए। बताना होगा कि राजू श्रीवास्तव की उम्र 58 साल थी वह पिछले कई दिनों से दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे उनके ठीक होने की सभी को उम्मीद थी परंतु वह सबको अलविदा कह गए। मौके पर प्रसिद्ध हास्य कवि काशीपुरी कुंदन ने कहा कि हंसी बांटने वाला हास्य का बेताज बादशाह राजू श्रीवास्तव का आकस्मिक निधन स्तब्ध कर गया है। छोटे से कस्बे से चलकर देश विदेश में हंसी बिखेरने वाला ठाहकों के स्वामी, जाते-जाते सबको रुला गया। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि हंसना मेरी पूजा अर्चना है और जो हंसाता है वह कभी स्वर्ग नहीं जाता है बल्कि वह जहां भी रहता है वहीं स्वर्ग बन जाता है। हास्य कवि संतोष कुमार सोनकर ‘मंडल’ में कहा कि उन्होंने हास्य विधा को एक नया स्वरूप देकर देश के सामने प्रस्तुत किया। उनका जाना कला की एक बड़ी क्षति है ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। आज से करीब पांच साल पहले रायपुर के बूढ़ा तालाब के पास स्टेडियम में एक प्राइवेट कंपनी के कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए राजू श्रीवास्तव पहुंचे हुए थे उस समय मुझे उनसे रूबरू होने का अवसर मिला और मैं उनकी हास्य रचनाओं को सुनकर बेहद प्रभावित हुआ था। हास्य कलाकार कमलेश कौशिक कठलहा ने कहा कि राजू श्रीवास्तव वह चेहरा था जो हमेशा हंसता हुआ ही नजर आया है। चाहे टीवी स्क्रीन हो या सोशल मीडिया। अपने शानदार प्रस्तुति के बदौलत करोड़ों लोगों के दिलों में राज किया है। हास्य के क्षेत्र में उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता। युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने कहा कि सबको हंसाने वाले ने आज रुला दिया। लोगों के चेहरे पर हंसी लाने वाले कलाकार का दुनिया से जाना बेहद दुखदाई है। राजू श्रीवास्तव की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता। हास्य की दुनिया को पहचान देने वाले राजू श्रीवास्तव ने भारतवर्ष को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को खूब हंसाया। कवि तुकाराम कंसारी ने कहा कि राजू श्रीवास्तव एक जिंदादिली इंसान थे जिन्होंने हास्य के खजाने को हमेशा लुटाया है लोगों के चेहरे पर खुशी बिखेरना उनका मुख्य मकसद था लोगों को हंसते हुए देखना राजू श्रीवास्तव का एक सूत्रीय उद्देश्य था।