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Chhattisgarh

संभागायुक्त डॉ.अलंग ने पाली और पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड़ की महिला समूह की सदस्यों से की चर्चा

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“बी एन यादव की रिपोर्ट”

कोरबा। राज्य सरकार की फ्लैगशीप योजनाओं से लाभान्वित हितग्राहियों से संवाद के क्रम में संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग ने आज जिले की स्व सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा की। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पाली और पोड़ी-उपरोड़ा के विकासखण्ड की महिलाओं से चर्चा कर उनके अनुभव सुनें। समूह की महिलाओं ने बताया कि गौठानों में रोजगार मूलक गतिविधियों से जुड़कर उनमें आत्मविश्वास जागा है। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने से उन्हें हिम्मत मिली है। अब वे परिवार की हर जिम्मेदारी निभाने में बराबर का साथ दे रही है, इससे परिवार एवं समाज में उनका सम्मान बढ़ा है। पहले रोजगार नहीं होने के कारण उन्हें घर चलाने में काफी दिक्कतें होती थी, लेकिन अब सब कुछ आसान हो गया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा के दौरान डिप्टी कमिश्नर अर्चना मिश्रा सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी भी मौजूद रहे।डॉ. अलंग ने आज पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कापूबहरा की सूर्या स्व सहायता समूह और सुतर्रा की मां भवानी स्व सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा की। सूर्या स्व सहायता समूह की अध्यक्ष चंदरबाई ने बताया कि उनके समूह की महिलाएं पिछले वर्ष से सब्जी उत्पादन का कार्य कर रही है। उन्होंने बाड़ी में मूली, बिन्स, गोभी की सब्जी लगाई है। इससे उन्हें 35 हजार की आमदनी हुई है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने उनकी मदद की है। मां भवानी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष संतोषी बाई ने बताया कि उन्होंने बाड़ी में टमाटर, आलू की फसल लगाई है। इससे उन्हें 17 हजार रूपए की आमदनी हुई है। इस राशि का उन्होंने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में उपयोग किया है।
विकासखण्ड पाली के ग्राम पंचायत सेंदरी-पाली एवं ग्राम पंचायत दमिया की महिलाओं ने भी संभागायुक्त डॉ. अलंग से अपने अनुभव साझा किए। मां महामाया स्व सहायता समूह की अध्यक्ष राजकुमारी उरांव ने बताया कि सब्जी उत्पादन से उनके समूह को 52 हजार रूपए की आमदनी हुई है। इस राशि का उपयोग उन्होंने घर के खर्चाे में किया। वे कहती हैं कि रोजगार मिलने से उन्हें अब बहुत अच्छा लगता है, परिवार का खर्च चलाने में मदद मिली है। आसपास की महिलाएं भी उनसे प्रेरित होकर अब स्वरोजगार से जुड़ने लगी है। दमिया महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष रानी जगत ने अपने अनुभव बताएं। जगत ने बताया कि रोजगार मूलक योजनाओं से जुड़कर उनका जीवन ही बदल गया है। परिवार एवं समाज में उनका सम्मान भी बढ़ा है। उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले में 155 सामुदायिक बाड़ी विकास का कार्य किया गया है, जिनमें महिलाओं को जोड़कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।

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