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बिहार में इस मॉनसूनी सीजन कम बारिश होने से राज्य में सूखे का संकट गहराया

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बिहार । बिहार में इस मॉनसूनी सीजन कम बारिश होने से राज्य में सूखे का संकट गहराता जा रहा है। सूबे में अगर 10 दिन और अच्छी बारिश नहीं हुई तो, धान की फसल बर्बाद हो जाएगी। किसानों को 81 अरब 26 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। ऐसे में अन्नदाता पर आर्थिक बोझ बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।

बिहार में अभी 35 लाख 12 हजार हेक्टयेर के क्षेत्र में धान की रोपनी का लक्ष्य निर्धारित है। इसमें से 11 लाख 31 हजार हेक्टेयर में ही रोपनी हो सकी है। इस प्रकार, अभी 24 लाख हेक्टेयर में रोपनी नहीं हो पाई है। यह कुल लक्ष्य का 68 फीसदी है। यानी कि अभी तक महज 31.4 फीसदी ही रोपनी हुई है। पिछले साल से तुलना करें तो करीब पांच लाख हेक्टेयर में कम रोपनी हुई है। 2021 में जुलाई अंत तक 16 लाख हेक्टेयर में रोपनी की जा चुकी थी।

वहीं, राज्य में चावल की उत्पादकता का लक्ष्य 24.90 प्रति क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार वर्तमान सूखे के संकट को देखा जाए और प्रति क्विंटल प्रति हेक्टेयर चावल के उत्पादन में 68 फीसदी की भी कमी होती है तो यह 16.93 प्रति क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी। यानी कि 1693 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में कमी आएगी। एक किलोग्राम चावल का बाजार मूल्य 20 रुपये है तो किसान को 33,860 रुपये प्रति हेक्टेयर का सीधे आर्थिक नुकसान होगा।

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