दिवाली में जगमगाएंगे गोबर के दिये,गोबर से बने दये की मांग अब विदेशों में

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दुर्ग । हिंदुओं का पवित्र त्योहार दीवाली जिसमें दीये जलाकर अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की कामना की जाती है। कार्तिक का पवित्र महीना जिसमें नदी में दीप दान किया जाता है, अब तक आपने मिट्टी के दिए देखे होंगे, इस बार हम आपको ऐसे दीये दिखा रहे हैं जो गोबर से बने हैं, लेकिन इन दीयों की खासियत ये है कि ये दीए पानी में तैरते भी हैं। दुर्ग ज़िले में गाय के गोबर से बने दीयों की मांग विदेशों में भी होने लगी है। सिंगापुर, अमरीका, स्विजरलैंड, कतर और लंदन जैसे देशों में अब छत्तीसगढ़ के गोबर से बने तैरने वाले दीयों की सप्लाई हो रही है। ये दीये न केवल हल्के फुल्के हैं बल्कि पूरी तरह इको फ्रेंडली भी है। यदि इन्हें नदी तालाब में छोड़ा जाए तो ये गलकर पानी में मिल जाएंगे और इसे मछली भी खा सकेंगी। इतना ही नहीं इन्हें घर मे सजावट के तौर पर इस्तेमाल करने के बाद धूप में सुखाकर वापस उपयोग में लिया जा सकता है। कार्तिक के महीने में नदी स्नान हो या छट का पर्व इस बार छत्तीसगढ़ झारखंड ओडिसा, गुजरात मध्यप्रदेश बंगाल सहित दर्जनों राज्य और अमरीका स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, सहित कई देशों के नदी तालाब में गोबर के दीये तैरते नजर आएंगे। ये सभी दीये छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बनाए गए है।

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