मुख्यमंत्री से राजिम को जिला बनाने की उम्मीद हुई फुस्स
*संतोष सोनकर की रिपोर्ट*
राजिम । मंगलवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर माघी पुन्नी मेला के समापन समारोह में पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि राजिम शहर नहीं बल्कि अध्यात्म, धर्म और संस्कृति का संगम है। परंतु इस प्राचीन शहर को अभी तक जिला का तमगा नहीं मिला है इस बार जैसे ही लोगों को पता चला कि महाशिवरात्रि पर मुख्यमंत्री आ रहे हैं उम्मीद बांध कर बैठे हुए थे कि जरूर यहां के जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री से राजिम को जिला बनाने की मांग करेंगे और इस पवित्र मंच से जिला की घोषणा कर दी जाएगी परंतु ऐसा कुछ हुआ नहीं है यहां के राजनेता चाहे वह भाजपा से हो या फिर कांग्रेसी सभी राजिम को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री के पास किसी ने यह मांग नहीं रखी जो चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का कहना है कि हमारे जनप्रतिनिधि कम से कम आवाज तो उठाते लेकिन आवाज उठाने की बात तो दूर उनके मुख से जिला बनाने के लिए एक शब्द भी नहीं फूटे।जबकि मुख्य मंच में पूर्व मंत्री एवं राजिम विधायक अमितेश शुक्ला तथा पूर्व मंत्री एवं अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू जैसे दो कद्दावर नेताओं ने बकायदा सभा का संबोधन किया जैसे ही इन दोनों का नाम लिया गया लोग टकटकी लगाए उनके मुंह की ओर देख रहे थे कि जरूर राजिम को जिला बनाने की मांग मंच से रखेंगे। एक विधायक के बोलने के बाद अब लोग यह दूसरे विधायक से उम्मीद लगाए बैठे थे कि अब यह जरूर राजिम को जिला बनाने की बात छेड़ेंगे परंतु इन्होंने भी वही पुराने अंदाज में अपनी बात समाप्त कर दी इससे यहां की जनता को गहरा आघात पहुंचा है। प्रश्न कर रहे हैं कि दोनों विधायक अमितेश शुक्ल और धनेंद्र साहू राजिम को आखिरकार जिला बनाना क्यों नहीं चाहते। क्या वह यहां के विकास नहीं चाहते या फिर मुख्यमंत्री से यह बात कहने के लिए डरते हैं अनेक प्रश्न चौक चौराहे पर उठ रहे हैं इन सवालों के जवाब लोग जैसे पा रहे हैं वैसे दे रहे हैं लेकिन कुछ भी हो चर्चा का माहौल गर्म है और दोनों विधायकों की चुप्पी साधना अनेक प्रश्नों को जन्म दे रही है। फेसबुक व्हाट्सएप पर राजिम को जिला बनाने के लिए लगातार चैटिंग चल रही है। एक आदमी लिखते हैं कि हमारी क्षेत्रीय नेता दमदारी नहीं दिखाते तो दूसरों को क्या पड़ी है। ऐसे जनप्रतिनिधि होने से हमारे राजिम का विकास कैसे होगा। राजिम को जिला बनाना बहुत जरूरी है इसे तत्काल बना देना चाहिए। इसी तरह से एक आदमी लिखते हैं कि कलपक कुंभ के नाम से पूरे देश विदेश के लोग आते थे लेकिन मांगी पुन्नी मेला छत्तीसगढ़ तक ही सीमित रह गया है राजिम अत्यंत प्राचीन शहर है यह सतयुग के समय का है। सरकार से तुरंत जिला बनाएं। धर्मेंद्र कुमार साहू लिखते हैं कि राजिम को जिला बनाया जाना चाहिए यह आसपास के गांव का प्रमुख केंद्र बिंदु है। जिला बनने से राजिम का महत्व कुछ अलग ही नजर आएगा जैसे अनेक शब्द लिखकर लोग अपनी भड़ास निकाल रहे हैं और जनप्रतिनिधियों से अहम सवाल पूछ भी रहे हैं। पहली बार यहां की जनता ने जनप्रतिनिधियों एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री से इतनी उम्मीद लगाए थे जितनी उन्होंने किसी भी मांग को लेकर नहीं सोचा था। बता देना जरूरी है कि राजिम को जिला बनाने की मांग अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से चल रही है। छत्तीसगढ़ राज्य बन गया 21 साल भी बीत गए इस दरमियान 16 जिला से 32 जिला हो गया लेकिन अभी तक राजिम का क्रम नहीं आया है यहां के चुनकर जाने वाले जनप्रतिनिधि भी राजिम को जिला बनाने की मांग दमदारी के साथ नहीं रख पा रहे हैं जिनका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू मुख्यमंत्री के पास बात रखने वाले थे लेकिन उन्होंने यह कहते हुए अपने आप को किनारे में कर लिया कि हमने मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपना संदेश दे दिया है। कांग्रेस के नेता भी यह कह रहे हैं की मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया गया है परंतु प्रश्न अब यह उठ रही है की मुख्यमंत्री जन भावना का ख्याल क्यों नहीं रखा। लाखों लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर कर चले गए। राजिम को जिला बनाने के संबंध में एक शब्द भी नहीं कहा। अंचल के गांव शहर सभी जगह यही चर्चा गूंज रही है।