सुहाग की लंबी आयु के लिए सुहागिनों ने रखा कठोर हरितालिका व्रत ,निर्जला व्रत के साथ शिव पार्वती किया पूजन आराधना
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। हरितालिका तीज पर्व के अवसर पर सुहागिन महिलाओं के द्वारा अपने सुहाग की लंबी आयु तथा कुंवारी कन्या सुयोग्य वर के लिए हरितालिका तीज व्रत किया। पिछले दो सालों से कोरोना काल के कारण महिलाएं अपने मायके नहीं जा पा रही थी परंतु इस बार उत्साह के साथ अपने अपने मायके गई हुई है क्योंकि इस व्रत को मायके में ही करने का विधान है इसे लेकर शहर के बाजारों में बड़ी भीड़ देखी गई। वहीं गांव गांव में भी अब छोटे बड़े दुकान खुल चुके हैं जिनके कारण मनियारी, कपड़े, सोने चांदी की दुकान इत्यादि में भीड़ देखने को मिल रही है। तीज व्रत के कारण बाजार ठसाठस रही। सुबह से ही शिव मंदिरों में श्रद्धालु पहुंचने लगे। महिलाएं संगम के बीच में स्थित कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के अलावा अन्य शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में उपस्थित होकर महादेव का जलाभिषेक कर पूजन अर्चन करते रहे। इनके अलावा घरों में भी शिवजी के फोटो रखकर कलश सजाकर पूजा अर्चना की। कल दिन बुधवार को सुबह शिव पार्वती तथा नंदी महाराज की पूजा अर्चना कर व्रत का पारणा करेंगे। इस अवसर पर महिलाओं के द्वारा तरह तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं जिन्हें खाने के लिए एक दूसरे के यहां जाते हैं और इस तरह से सांस्कृतिक एकता देखने को मिलती है। तीज व्रत के संबंध में प्रचलित कथाओं के अनुसार भाद्रपद शुक्ला तीज को हस्त नक्षत्र में पार्वती ने बालू का शिवलिंग स्थापित करके कठिन व्रत करते हुए पूजन आराधना की थी और रात्रि में जागरण किया था इस कठोर व्रत के प्रभाव से भगवान शिव का आसन डोल गया और स्वयं उपस्थित होकर वरदान मांगने के लिए कहा इस तरह पार्वती ने शिवजी की अर्धांगिनी होने का वर प्राप्त कर लिया। सखी के द्वारा पार्वती का हरण करके वन में लाई गई थी और वही व्रत धर्म का पालन किया इसलिए इसका नाम हरितालिका हरत + आलिका पड़ा। सौभाग्य का यह व्रत प्रत्येक महिलाएं शास्त्रीय विधि-विधान से करती है। साल भर में यह ही उपयुक्त अवसर होता है जब बेटियां अपने मायके में आकर मेल मिलाप करती हैं तथा परिवार खुशियों से दमक जाता है।