राजभाषा आयोग के कार्यक्रम में गरियाबंद जिला के साहित्यकारों की उपेक्षा
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले साहित्यिक कार्यक्रम में प्रदेश भर के कवि एवं साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाता है और वृहद कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमें छत्तीसगढ़ी साहित्य को खासतौर से प्राथमिकता दी जाती है इसी कड़ी में आज 28 नवंबर को राजभाषा दिवस के अवसर पर राजधानी रायपुर में भव्य आयोजन किया गया। दो दिवसीय आयोजन में गरियाबंद जिले के कवि एवं साहित्यकारों की उपेक्षा की गई है इन्हें यहां तक कि आमंत्रण भी नहीं दिया गया है जिससे साहित्यकार अपने आप को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। इन्होंने शहर में एक साथ उपस्थित होकर आमंत्रण नहीं करने पर विरोध प्रकट किया। जब इस संवाददाता ने इनसे कार्यक्रम के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की और आमंत्रण नहीं देने के कारण वह विरोध किया। उल्लेखनीय है कि पिछले दो-तीन सालों से जिले के साहित्यकारों की घोर उपेक्षा हो रही है यहां तक कि उन्हें एक अदद आमंत्रण नहीं दिया जा रहा है जिससे वह विभाग की कार्यशैली के प्रति उंगली उठाए हैं। जिला रत्नांचल साहित्य परिषद के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र साहू ने विरोध प्रकट करते हुए कहा कि आयोग का काम सभी साहित्यकारों को जोड़ कर रखना है लेकिन गरियाबंद जिले के साहित्यकारों को कार्यक्रम की जानकारी नहीं है यहां तक कि कब क्या हो रहा है वह अन्य लोगों के माध्यम पता चला हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह से रचनाकारों की उपेक्षा बर्दाश्त से बाहर है। प्रयाग साहित्य समिति राजिम के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने कहा कि संस्कृति मंत्री कार्यक्रम के मुख्य अतिथि है जिसमें प्रदेश के लिखने वाले नामचीन साहित्यकारों को सम्मानित भी किया जा रहा है। इस कार्यक्रम से सीखने एवं बहुत कुछ जानने को मिलता है लेकिन विभाग की अनदेखी के चलते हमें उस कार्यक्रम में जाने का अवसर नहीं मिला। मंथन साहित्य परिषद के संयोजक मोतीराम साहू त्यागी ने कहा कि उभरते हुए रचनाकारों को मंच देने का काम एवं भाषा को आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन राजभाषा आयोग का गठन किया गया है लेकिन गरियाबंद जिला के साहित्यकारों को आमंत्रित नहीं करना बड़ी सोचनीय विषय है। युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने विरोध प्रकट करते हुए कहा कि पिछले 3 सालों से मुझे कार्यक्रम में आमंत्रण नहीं मिल रहा है जबकि इससे पहले बाकायदा मेरे पास निमंत्रण पत्र आते थे और मैं जाकर शिरकत करता था। हमें यह भी नहीं पता है कि जिले के संयोजक कौन हैं और यदि किसी को बनाए हैं तो उन्हें सबको साथ में लेकर चलना चाहिए। स्मरण साहित्य समिति बेलर के देवेंद्र ध्रुव ने कहा कि हर बार विभाग के द्वारा इस तरह से अनदेखी निंदनीय है। ज्ञातव्य हो कि गरियाबंद जिले में जिला रत्नांचल साहित्य परिषद के अलावा हिंदी साहित्य भारती तथा अलग-अलग विकासखंड मुख्यालय में समितिया गठित है। इस मौके पर उपस्थित फनेन्द साहू मोदी, विजय सिन्हा, मोतीलाल साहू, राजेश साहू, संतोष व्यास, प्रदीप साहू, राकेश दास आदि है।