सोन तीर्थ घाट में गंदगी का ऐसे आलम कि कपड़े,कागज के टुकड़े, रैपर सहित घास फूस का लगा हुआ हैं ढेर

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राजिम । छत्तीसगढ़ के प्रयाग नगरी त्रिवेणी संगम के सोन तीर्थ घाट में इन दिनों गंदगी का ऐसे आलम है कि देखते ही देखते घाट में ही कपड़े का ढेर लग गया है। इनके अलावा घास फूस, कागज के टुकड़े, रैपर आदि गंदगी इस कदर बिखरे हुए पड़े हैं कि इस घाट में जाने के बाद मजबूरी में ही सारे कृत्य करने पड़ते हैं सफाई नहीं होने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है। उल्लेखनीय है कि इस घाट में अस्थि विसर्जन करने के लिए बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालुगण अपने पुरखों के तर्पण एवं मुक्ति के लिए पहुंचते हैं। अस्थि विसर्जन के समय नए सफेद कपड़े पहनते हैं। इस दौरान कई श्रद्धालु उस कपड़े को वहीं छोड़ जाते हैं जिसके कारण देखते ही देखते कपड़े की ढेरी लग गया है। इनके अलावा यहां अटल घाट, संगम घाट, गंगा आरती घाट है। इन जगहों पर भी अक्सर गंदगी देखी जाती है। खासतौर से अस्थि विसर्जन के लिए सोन तीर्थ घाट में श्रद्धालुओं का हमेशा जमावड़ा लगा रहता है। इस लिहाज से इस स्थल की प्रतिदिन सफाई होनी चाहिए लेकिन स्थानीय प्रशासन के उदासीनता के चलते सफाई तो दूर लोगों को गंदगी एवं मजबूरी के बीच सारे कृत्य करने पड़ते हैं। इससे धर्म नगरी राजिम की छवि धूमिल होती जा रही है बताना जरूरी है कि अन्य तीर्थ स्थल के अलावा राजिम को स्वच्छ समझा जाता है लेकिन धीरे-धीरे सफाई पर ध्यान नहीं देने के कारण यहां भी गंदगी का आलम होता जा रहा है जो चिंता का कारण बनी हुई है। बेमेतरा से पहुंचे दिलहरण साहू, विक्रम साहू, दीनानाथ साहू ने बताया कि राजिम का नाम स्मरण होते ही हमें एक स्वच्छ वातावरण दिखाई देता है। आज से 20 साल पहले जब हम राजिम आए थे तो उस समय एक स्वच्छ वातावरण मिला था लेकिन आज ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है उसके बाद भी गंदगिया देखने को मिल रही है। सफाई विभाग को इस पर ध्यान देना चाहिए वरना वह दिन दूर नहीं है जब बड़े तीर्थ क्षेत्रों में जो गंदगी होती है वही यहां दिखाई ना दे दे। आसपास रायपुर, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव, धमतरी, बलोदा बाजार, भाटापारा, सरायपाली, बसना, महासमुंद, देवभोग,कांकेर, कवर्धा सहित प्रदेश के लोग बड़ी संख्या में प्रतिदिन अपने पितरों का तर्पण करने उपस्थित होते हैं। सामने पितृ पक्ष है। इस पक्ष में तर्पण करने वालों की संख्या एकाएक बढ़ जाती है। अतः श्रद्धालुओं ने शीघ्र सफाई करने की मांग स्थानीय प्रशासन के अलावा जिला कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर से की है। ज्ञातव्य हो कि प्राचीन ग्रंथों में इस घाट की महिमा का वर्णन किया गया है जिसमें सुनने को मिलता है कि इस घाट में स्नान करने से सोना दान करने के बराबर फल मिलता है। इसलिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यही स्नान, दान, तर्पण एवं अस्थि विसर्जन का कृत्य करते हैं।

“संतोष सोन​कर ​की रिपोर्ट”

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