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सिर्फ मेहनत करें सफलता की चिंता छोड़ दे: पूज्या गीता गोस्वामी

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कथा वाचिका गीता गोस्वामी ने अनेक बिंदुओं पर की बेबाक चर्चा

राजिमईश्वर ने हमें हवा, पानी, अग्नि, धरती, आकाश यह सब फ्री में दिया है। इसके लिए हमें कीमत चुकानी की जरूरत नहीं होती है हमारी मर्जी हम जहां जाए वहां चले जाते हैं। हम आजाद पंछी की तरह है बावजूद इसके विभिन्न बंधनों से बंधे रहते हैं। माया का यह बंधन पीड़ा का कारण बनती है। यदि ईश्वर नाम स्मरण करते हुए समय गुजारे तो निश्चित रूप से जीवन में खुशहाली आएगी। मेहनत करना हमारे बस में है श्रम करने से व्यक्ति को कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। सिर्फ मेहनत करें सफलता की चिंता छोड़ दे समय आने पर वह जरूर मिल जाएगी। उक्त बातें शहर के वार्ड क्रमांक 14 में चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के कथा वाचिका पूज्या गीता गोस्वामी ने चर्चा के दौरान कहीं। बताना जरूरी है कि गीता गोस्वामी बी.ए. फाइनल ईयर की छात्रा है। पढ़ाई के साथ साथ वह इन दिनों भागवत कथा के माध्यम से अपनी पहचान बनाए हुए हैं वह अपने ही वार्ड में श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा वाचन कर रही है जिसे सुनने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रोतागण उपस्थित हो रहे हैं। इनके बोलने की ढंग तथा प्रस्तुतीकरण की शैली लोगों को खासा भा रही है व्यासपीठ पर बैठते ही कहीं से नहीं लगता कि यह उनकी प्रथम मंच है। चर्चा में गीता गोस्वामी ने बताया कि पिछले 2 सालों से मैं लगातार श्रीमद्भागवत महापुराण ग्रंथ का अध्ययन कर रही हूं। प्रतिदिन दो से ढाई घंटे अध्ययन में ही समय बीत जाता है पता ही नहीं चलता। इसमें से जो प्रमुख बिंदु होती है उसे मैं अपने डायरी में नोट कर लेती हूं मेरा और कोई गुरु नहीं है खासतौर से टीवी चैनल पर आने वाले प्रवचन, यूट्यूब, सोशल मीडिया तथा प्रिंट मीडिया में प्रकाशित धार्मिक आलेख पढ़कर प्रवचन करने की ओर रुझान बढ़ा । अधिकतर प्रसिद्ध कथा वाचिका जया किशोरी दीदी के प्रवचन ही ज्यादा सुनती हूं। इन सभी कार्यों में मेरी मां पुष्पा गोस्वामी का सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया और मेरी हर कमी को पूरा की तथा अध्ययन के लिए पूरे समय देती है जिसके ही कारण आज व्यास पीठ पर कथा वाचिका के रूप में बैठी हूं। बताना होगा कि गीता गोस्वामी धाराप्रवाह कथा कहने के साथ ही भजन भी शानदार प्रस्तुत करती है वह कृष्ण की भक्ति में रंग गई है। वह कहती है कि मेरी दिली इच्छा है कि मैं वृंदावन में इसी तरह से कृष्ण की कथा कहूं। उन्होंने आगे बताया कि भगवान के लिए हम समय निकालेंगे तो वह हमारे लिए जरूर समय निकालेगा इसके लिए कोई दो मत की बात नहीं है। गजेंद्र पूर्वजन्म में राजा था तथा ईश्वर भक्ति में लीन थे इत्तेफाक उन्हें गज बनना पड़ा और जब ग्राहा ने उनके पैर को जकड़ा तब उन्होंने भगवान विष्णु को याद किया स्मरण करते ही विष्णु जिस स्थिति में थे अपने भक्तों की पुकार सुनकर उन्हें बचाने के लिए उपस्थित हो गए। यह वाक्य हर मनुष्य के जीवन के साथ होता है हम समझ नहीं पाते हैं पल-पल ईश्वर हमारी सुरक्षा कर रहा है। ईश्वर को सिर्फ श्रद्धा के साथ बुलाने की आवश्यकता है। सुख में दुख में हर समय वह हमारी सुरक्षा करने के लिए तत्पर रहते हैं। उनके ही दिए दिन और रात दोनों का हम भरपूर लाभ ले रहे हैं और यदि उन्हीं को भूल जाएं तो यह हमारे जीवन की सबसे बड़ी भूल है। कृष्णा नाम दुनिया में अमर है इनके स्मरण आमूल चूल परिवर्तन लाता है। लोग कहते हैं कि धर्म अध्यात्म की ओर लोगों का रुझान कम होता जा रहा है बल्कि ऐसा नहीं है अब लोग पहले से ज्यादा धार्मिक हो रहे हैं जो रामायण मंच, भागवत मंच, गीता प्रवचन इत्यादि में देखने को मिलती है। जैसे भक्त चार प्रकार के होते हैं आर्त, जिज्ञासु, अर्थाथी, विज्ञान निवास। उसी तरह से भक्ति कई तरह से होती है चाहे वह दिखावटी ही क्यों ना हो ईश्वर के प्रति प्रेम को दर्शाता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में लोग संस्कार को भूलते जा रहे हैं जबकि विदेशी हमारे भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं और हम पाश्चात्य सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं यह सबसे बड़ी विडंबना है।

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