करोड़ों की लागत से बना लक्ष्मण झूला अब तक अधूरा, क्षेत्रवासियों को इसके लोकार्पण का बेसब्री से इंतजार
राजिम । राजिम में त्रिवेणी संगम के बीच जल संसाधन विभाग द्वारा पिछले पौने 5 साल से बन रहे लक्ष्मण झूला के जल्द पूर्ण होने की लोगों की उम्मीदों को एक बार फिर से झटका लगा है । जल संसाधन विभाग के अधिकृत ठेकेदार द्वारा लगभग बन चुके लक्ष्मण झूला के एक हिस्से में बन चुके लगभग 140 टन वजनी आर्च को 4-5 पोकलेन मशीनों की सहायता से दो दिन पूर्व एक बार फिर से उतारकर उसकी कमियों को दूर किया जा रहा है । जल संसाधन विभाग संभाग क्रमांक 01 के कार्यपालन अभियंता के अनुसार तकनीकी तौर पर संबंधित आर्च में सुधार की आवश्यकता महसूस की गई, जिसके बाद देर न करते हुए सुधार कार्य किया जा रहा है । बताना जरूरी है कि बरसात काल में भी श्रद्धालुओं को त्रिवेणी संगम के मध्य स्थित कुलेश्वरनाथ महादेव के दर्शन करने में किसी प्रकार की असुविधा न हो, यह सोचकर वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंग द्वारा त्रिवेणी संगम में 40 करोड़ की लागत से बनने वाले लक्ष्मण झूला का भूमिपूजन करते हुए 2018 में इसके पूर्ण हो जाने का दावा किया गया था । लक्ष्मण झूला के दोनों सिरे राजिम के मुख्य मंच से लोमश ऋषि आश्रम तक हैं जबकि बीच से इसे कुलेश्वरनाथ महादेव मन्दिर तक जोड़ा गया है । लगभग पौने 5 साल तक यह पूर्ण नहीं हुआ है, साथ ही इसकी लागत 40 से बढ़कर 58 करोड़ रूपए हो गई है। हर बार अंचल वासियों को निराशा हाथ लग रही है। इसे बनाने में 5 साल का समय यानी 1825 दिन का समय होता है इतने में भी ठेकेदार के सुस्त रवैया के चलते यही स्थिति निर्मित हुई है बताना जरूरी है कि पिछले दिनों नवीन मेला स्थल के निरीक्षण में पहुंचे जिला कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर ने लक्ष्मण झूला शीघ्र लोकार्पण की बात कही थी लेकिन अब मेला तक पूर्ण हो पाएगा कि नहीं यह भी संशय निर्मित हो रही है। कुछ भी हो क्षेत्रवासियों सहित पूरे छत्तीसगढ़ के लोगों को इस लक्ष्मण झूला के शीघ्र पूर्ण होने तथा लोकार्पण के इंतजार है। इस संबंध में नगर में चर्चा का माहौल गर्म है लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। ज्ञातव्य हो कि लक्ष्मण झूला का काम भाजपा शासनकाल में हुआ था जो अभी तक लगभग कांग्रेसी शासन को 3 साल बीतने को है और बनी रहे हैं। यही स्थिति रही तो भगवान ही मालिक है कि कब यह पूर्णरूपेण बन पाएगा और कब उद्घाटन होगा समय की गर्भ में छुपा हुआ है।