लक्ष्मण झूला पान की पीक और गुटका के लाल रंग से रंगा

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। 16 मार्च से शुरू प्रदेश के सबसे बड़े 610 मीटर लंबी लक्ष्मण झूला में गंदगिया इस कदर पसर रही है कि जिधर देखो उधर पान एवं गुटखा के पिक देखने को मिल रही है झूला के एंगल लाल रंग से रंगा हुआ है। धोखे से भी हाथ इसमें चला जाए तो यह रंग हाथों में हो जाते हैं। गंदगी से पर्यटक एवं श्रद्धालु दोनों परेशान हैं। शुरू से लेकर पूरी नदी तक यह दृश्य देखने को मिल रहा है। शुरू हुए इसे मात्र साढ़े 9 महीने ही हुए हैं और इतनी कम दिनों में ही साफ-सफाई के अभाव में लक्ष्मण झूला का दृश्य बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। इन्हें साफ सुथरा करना बहुत जरूरी है। स्वच्छता से संबंधित एतियात बरतने के लिए कोई सरकारी बोर्ड भी नहीं लगा है जो लोगों को गंदगी करने पर सचेत करें। वहां उपस्थित कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि जैसे ही शाम होती है कुछ असामाजिक तत्व के लोग भी पहुंच जाते हैं और गंदे गंदे शब्द का उच्चारण करते रहते हैं इससे आने-जाने में बहुत परेशानी होती है। चूंकि झूला में लोग परिवार के साथ ही पहुंचते हैं। छोटे बच्चे से लेकर युवा एवं दादा-दादी, माता पिता सभी लोग एक साथ रहते हैं ऐसे में इस तरह के गंदे शब्द बोलने वाले पर भी पाबंदी होनी चाहिए, लोगों ने ऐसा मांग किया है। वैसे भी यह धर्म क्षेत्र है और यहां संस्कारवान शब्दों का उपयोग होना चाहिए न कि अपशब्द। बताया गया कि सुबह 8:00 से झूला के गेट खुल जाते हैं जो रात्रि 8:00 बजे तक अर्थात 12 घंटे तक श्रद्धालु झूला के माध्यम से पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर एवं लोमस ऋषि आश्रम बड़ी सरलता के साथ पैदल चलते हुए जा सकते हैं। झूला के बन जाने से धमतरी जिला एवं रायपुर जिला जुड़ गया है। बरसात के दिनों में भी अब बड़ी आसानी से पहुंचा जाता है। पहले लक्ष्मण झूला के अभाव में नदी में पानी होने के कारण मंदिर तक पहुंचने के लिए दो से ढाई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी तब कहीं वहां तक पहुंचा जाता था लेकिन अब उनके बन जाने से महज कुछ ही दूरी तय करने के बाद भगवान भोलेनाथ का दर्शन हो जाता है। धमतरी जिला से आने वाले तथा रायपुर जिला से बड़ी संख्या में दर्शनार्थी लगातार पहुंचते रहते हैं। बता दे जब से लक्ष्मण झूला बना हुआ है तब से लेकर लगातार श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ है। राजिम संगम में मोटर गाड़ियों का रेला लगा रहता है। रविवार को तो मेले जैसे भीड़ होती है अन्य दिनों में भी सुबह से लेकर रात तक पर्यटक पहुंचते रहते हैं। उल्लेखनीय है कि धर्म नगरी राजिम को प्रयाग भूमि के नाम से भी जाना जाता है यहां तीन नदियों का संगम है इसलिए इन्हें त्रिवेणी संगम की मान्यता मिली हुई है। स्नान दान अस्थि विसर्जन आदि कृत्य के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनके अलावा भगवान राजीवलोचन तथा अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए हमेशा लोगों का आना जाना लगा रहता है। वर्तमान में 5 फरवरी से माघी पुन्नी मेला 15 दिनों के लिए शुरू हो जाएगी। प्रदेश सरकार के द्वारा इसके लिए तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई है। नदी में सड़क बनाने का काम लगभग शुरू होता दिख रहा है। श्रद्धालुओं ने प्रदेश शासन से स्वच्छता बरतने तथा असामाजिक तत्व से लक्ष्मण झूला को बचाने की मांग की है।

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